तूफान में कश्ती

लहरें साहिल कश्तियां समुंदर ये सारे बेकार हो गए
ये मल्लाह सारे नाव छोड़ जहाजो पर सवार हो गए

अब इन कागजी खबरों पर कितना ऐतबार करूँ मैं
इश्तेहारों के सब भूखे अब शहर के अखबार हो गए

आने अब कौन इलाज करेगा इस नासाज शहर का
अस्पतालों के सारे  डॉक्टर अब खुद बीमार हो गए

जिनको शहजादा समझा उनकी  जेबें फटी निकली
फकीर बनके घूमने वाले खजानों के दावेदार हो गए

अब  किससे मांगने  जाएंगे  हम रहम  की दुहाइयाँ
जिंदगी देने वाले सारे अब मौत के जिम्मेदार हो गए

अब कुछ कहने और सुनने लायक तो बचा ही नही
हमारे तुम्हारे बीच रिश्तों के फैसले आर पार हो गए

जो थे फकीर वो सौदागर बन बाजार में उतर आए 
और चोर लुटेरे डाकू दंगाई, मठों में अबरार हो गए

कल तक जो शराब पीने को लेकर तखरीरें करते थे
वो मौलवी मैखाने खुलते ही  रिन्दों में शुमार हो गए

बस्तियां भी जलाते है और आके आंसू भी बहाते है ये  सियासतदान भी सारे अब मंझे हुए अदाकार हो गए 

जिन लोगो की चपरासी भी बनने की हैसियत न थी
बराये मेहरबानी वो लोग आज खुद सरकार हो गए



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