मेरे दिलबर
गुलो के रंग में रचके मेरे दिलबर मेरी निगाहों में तुम चले आते हो
भरे सावन की रातों में मेरे हमदम मेरी बाहों में तुम चले आते हो
आते है बागों में गुल मेरे साजन मेरी निबाहो में तुम चले आते हो
आये जब भी सर्दी का ये मौसम मेरी पनाहों में तुम चले आते हो
भरे आह जब भी कोई आशिक यूँ सिसक सिसक कर
निकले जब दम भी उसका बस खिसक खिसक कर
खुदा बस ये जाने क्यों मेरे रहबर मेरी यादों में तुम चले आते हो
गुलो के रंग में रचके मेरे दिलबर मेरी निगाहों में तुम चले आते हो
निकलती है सीने से मेरी ये जान भी तड़प तड़प कर
निहारे तुम्हारी राह हमार दिल भी धड़क धड़क कर
मेरी सारी नेकी मेरा मुकद्दर और मेरे गुनाहों में तुम चले आते हो
गुलो के रंग में रचके मेरे दिलबर मेरी निगाहों में तुम चले आते हो
छिप जाए जब भी वो चाँद बादल में चमक चमक कर
ढूंढे फिरू उसको मैं भी खिड़की से उचक उचक कर
मेरे दोस्तों की शब मेरे रफूगर मेरे खैर ख़्वाहो में तुम चले आते हो
गुलो के रंग में रचके मेरे दिलबर मेरी निगाहों में तुम चले आते हो
Comments
Post a Comment