कितना भी कोसिस करो
कितना भी करो अक्सर कुछ ना कुछ छूट जाता है
कितना भी सहेजो ये उम्मीद का ख्वाब टूट जाता है
बड़ी कच्ची हो चुकी है मुझपे ऐतवार करने की नींव
प्यार कितना भी हो,एक गलती से वो रूठ जाता है
अभी जितनी करनी है हैवानियत, जी भरके करले
सुना है कि पाप का घड़ा बड़ी जल्दी फुट जाता है
आंखे बंद कर एक वादा आपके वादे पर कर लिया
गलती थी मेरी जो भरोसा कच्चे धागे पर कर लिया
जानता था मै कि बीच सफर में साथ छोड़ देगा वो
हश्र से बेखबर ऐतबार आपके इरादे पर कर लिया
बड़े लोगो का ज़मीर अक्सर बिकाऊ निकलता है
हमने भी वजीर छोड़ भरोसा पियादे पर कर लिया
तेरी बेवफाई की चर्चा इस शहर में आम न हो जाए
मैं तो बस डरता हूँ कि कही तू शरेआम न हो जाये
ये मत सोच की मुझे तेरी हरकतों की खबर नहीं है
ख़ामोश तो इसलिए हूँ, कि तू बदनाम न हो जाये
हश्र है मोहसते इश्क़ का दीवानापन मेरा देख जरा
डरता हूँ तेरा भी मेरे जैसा कोई अंजाम न हो जाये
जंग ए मैदान में उतरने से पहले ही गश मे देखा है
तुम्हारे जैसे शेर तो मैंने मेलों के सरकश में देखा है
तुमको बड़ा गुमान है अपनी इन तीरों की मार पर
मैने ऐसा तीर अक्सर प्यादों के तरकश में देखा है
न जाने कितने शूरमा आये और कितने ही चले गए
हमने बड़े सिकंदरों को सोते हुए आतश में देखा है
ना जिंदगी बुरी थी मेरी ना मरने का कोई इरादा था
डोर इसलिए टूटी थी क्योकि कच्चा मेरा धागा था
अभी तक खड़ा हूँ उसी मोड़ पे जहां हम बिछड़े थे
क्योकि उनका लौट कर वापस आने का वादा था
तुम्हारे उन सारे जूठे वादों पे भी यकीन था मुझको
क्या करता हमको तुमसे प्यार जो इतना जादा था
हार जितनी मिले जीत का दम उतना भरना होगा
कश्तियां गर डगमगाये,तो भी लहरों में उतरना होगा
जो हालातो से डरकर भाग पराए तेरी वो कौम नही
तलवारे अगर टूटी हुई है तो भी तुझको लड़ना होगा
ये तूफान ये आंधिया तुम्हे हटाने की कोसिसे करेंगी
पर अब जो पतवार थामा तो उस पार उतरना होगा
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