नाद है ये शंख का
नाद है ये शंख का या युद्ध के मृदंग का
रक्त रंजित पथ पे कदम तू बढ़ाये जा
शत्रु के खंड का लिपटे इस भुजंग का
शीश शत्रु का चंडी को तू चढ़ाए जा
नर मुंडो से खइया है ढक रही
विजय पताका रक्त से है रंग रही
जिंदगी शत्रु की अब सीसक रही
क्रोध ज्वाला सीने में है धधक रही
पाठ युद्धनीति का सबको तू पढ़ाये जा
नाद है ये शंख का या युद्ध के मृदंग का
रक्त रंजित पथ पे कदम तू बढ़ाये जा
गांडीव की वो भीषण टंकार सी
विकोदर की विजयी हुंकार सी
तीक्ष्ण हो वो नन्दक की धार की
या हो वो कौमोदकी के प्रहार सी
भीषण अपने वार से शत्रु को उड़ाए जा
नाद है ये शंख का या युद्ध के मृदंग का
रक्त रंजित पथ पे कदम तू बढ़ाये जा
काट कर अंग अंग पापियों का
करके ही अंग भंग पापियों का
अधर्मी उन कौरवों की हार सा
या विजयी पांडवों के प्रहार सा
वीरों को सूची में अपने नाम से छाए जा
नाद है ये शंख का या युद्ध के मृदंग का
रक्त रंजित पथ पे कदम तू बढ़ाये जा
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