वो चांद सी लड़की
जो छत पे चमक रहा है चाँद नही उनकी परछाई है
वही जो अभी अभी सजदे के लिए छत पर आई है
सरक रहा है उनके सर से उनका ये दुपट्टा धीरे धीरे
देखो आज क़यामत मोहल्ले की छत से मुस्कुराई है
बुझा दो आज की रात शहर के सारे चिरागों को
देखो आज चांदनी खुद मेरे छत पे आकर शरमाई है
आपकी अलकें आंखों पर आ आकर अटक रही है
रहबर मेरे ये रक्स तेरे रोवेल से रूह की रानाई है
हिजाब चेहरे पे है पर आंखों से तो नूर झलकता है
हँस के एक दफा देख ले जो फिर दुहाई ही दुहाई है
ये जुल्फें उड़कर उसके होंठो पर जब भी आती है
मानो खुदा ने ये धनक इसी की लाली में डुबाई है
उनके नाक की नथनी चाँद का टूटा टुकड़ा लगती है
तारो जैसी बालियां उसके दोनो कानों में लहराई है
रेगिस्तान भी आज कुछ गीला गीला सा लगता है
लगता है आँचल लहरा कर बारिस उसी ने कराई है
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