दिखावा
मोम के सिपाही लेकर तुम ये आग बुझाने आये हो
एहसान सच मे करना है या, सिर्फ जताने आये हो
जो तुम आज आये हो तो मुझे ये बताकर ही जाना
आने के लिए आये हो,या जाना है ये बताने आये हो
खा कर दुनिया भर के थपेड़े जो सो चुके है कब्रो में
इस शहरे ख़ामोशा में तुम उन्हें कहा जगाने आये हो
खामोश रह कर यूँ अपना कलेजा तुम मत जलाओ
कर दो वो सारे गिले शिकवे जो मुझे सुनाने आये हो
आज कब्र पर रकीब के संग क्या दिखाने आये हो
मैं सो रहा हूँ चैन से, मुझे तुम क्यों रुलाने आये हो
इस बार तुम्हारे होंठो से इज़हारे इश्क़ सुनाई देगा
या मैं जी लूंगा तुम्हारे बिना यही समझाने आये हो
ये तेरी मोहब्बत की रियावत मुझे समझ नही आती
मेरा घर में आओगे या तुम कही और जाने आये हो
ये दिल मे अपने क्या छुपाया है तुमने,सच बताओ
इन हाँथो में खंजर लिए किसे गले लगाने आये हो
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