आंखों के समुन्दर

हमको आप ऐसे ना देखो साहब, हमारे ठिकाने लग जाएंगे
जो डूबे इन आँखों मे तो हमें निकलने में जमाने लग जाएंगे

अब ये  इश्क़  विश्क  की बाते क्या करे हम आपके साथ
जो किया  तो आप  अपनी नज़रे  मुझसे चुराने लग जाएंगे

मत गुज़रा करो यूँ सज संवर कर शहरे शमोशा के पास से
नही तो मुर्दो के दिल भी धड़क कर उन्हें जगाने लग जाएंगे

बरसात की रात है, भींगी साड़ी पहने तुम मेरे घर आई हो
मुझे कोई तो संभालो मेरे कदम अब डगमगाने लग जाएंगे

तुम्हारी आँखों से पी है, अब जाम की कोई गुंजाइश नही है
ऐसे ना देखो अब नही तो सारे रिन्द लड़खड़ाने लग जाएंगे

ये होंठ आपके, मुझको  जाम से भरे दो दो पैमाने लगते है
इसे पीने फरिश्ते भी जन्नत से जमीन पर आने लग जाएंगे

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