शेर

जिसने भी दहाड़ सूनी वो  भाग गया  है
तेरी चारदिवारी वो कब का लांघ गया है
बचा कर रखो अपने घर के सियारों को
शेर जो सोया था अब  वो जाग  गया  है

जागते रहो अब तुम दिन और रातों को
आय है वापस देने तेरे दिये सौगातों को
एक ही छलाँग से  सबको साध  गया है
शेर जो सोया था अब  वो जाग  गया  है

जंगल है ये चुपचाप  चल तेरी  भलाई है
आगे देख अब आने वाली गहरी खाई है
दहाड़ से ही वो तेरी  घिग्घी बांध गया  है
शेर जो सोया था अब  वो जाग  गया  है

खौफ  उसका तेरी आँखों मे  समाया है
उसके कदमो की आहट से  तू थर्राया है
साम्राज्य तुम्हारा झटके में उखाड़ गया है
शेर जो सोया था अब  वो जाग  गया  है




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