जमीर का खरीददार

तुम्हारी इस शख्शियत का कोई किरदार नहीं है 
और अगर वो है भी तो ज्यादा असरदार नहीं है
बेचने तो  निकल  गए हो  जमीर को तुम अपने 
पर मरे हुए जमीर का यहाँ कोई खरीदार नहीं है

औरों के भी है तुझसे कही ज्यादा सिपहसालार
यह पे सिर्फ तू ही लश्करों वाला  सरदार नही है

मौका मिलते ही जला कर खाक कर सकती है
ये राख मे बुझती हुई चिंगारी भी बेकार  नही है

मत गुरूर करना अपने हाथों की बाजीगरी पर
ताश की बाजी का तू आकेला फनकार नही है

यहाँ हर करामात  में माहिर शूरमा घूम रहे  है
ये मत सोचो  तुमसे बड़ा कोई अय्यार नही  है

जो गलतफहमी पाल रखी है उसे निकाल लो
तुम्हारी इन  खोखली तलवारों में  धार नही है

आज तुम्हारे हाथ मे है , कल मेरे हाथ मे होगा
इस वक़्त से बड़ा जहां मे कोई हथियार नहीं है

इंकलाबी आवाजें ऐसे ही बदस्तूर आती रहेंगी
शरीर है, पर जहन मेरा अभी गिरफ्तार नही है

जो तुम पहनते हो सिर्फ ये पहनावा अच्छा है 
बाकी आदमी तू जहन का  ईमानदार  नही है

मत जताओ  लोगो  की जिन्दगानियो पर तुम
पुरखे  थे तुम्हारे  पर  तू कोई जमीदार नही है

खूब रोते हो लोगो को चिताओ पर लिटा कर
सच है यहाँ तुमसे बड़ा कोई अदाकार नही है

सच है मेरी नज़रो में अब तुम उठ नहीँ सकते
पर गिरने पे आओ तो तेरी कोई मेयार नही है

शराफत और  शरीफों की  क्या ही  बात करे
मक्कारो मे भी तुमसा कोई  मक्कार नही  है







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