क्या कहूँ तुमसे
क्या कहूँ तुमसे, तुम मेरी क्या बन गयी
दिल मेरी धड़कन मेरी जान बन गयी
दिल तेरे इश्क़ में ही पागल हुआ
मैं दीवाना तेरा, हाँ घायल हुआ
दिन रात हा ये दिल मेरा तुझे ही पुकारे
हर ख्वाब मेरी तुम हर निशा बन गई
क्या कहूँ तुमसे, तुम मेरी क्या बन गयी
दिल मेरी धड़कन मेरी जान बन गयी
मेरी नज़रो में है एक तेरा चेहरा
इस आंखों पर भी है तेरा पहरा
दिल तेरे चेहरे पर ही जा ठहरा
तुझसे है मेरा एक रिश्ता गहरा
मैं दिन रात नाम तुम्हारा लेती हूँ
करवट बदल बदल कर सोती हूँ
तू जहाँ है मैं भी तो वहीं होती हूँ
बिन तेरे जाने कितना मैं रोती है
जाने कब तुम दिल की जुबां बन गयी
क्या कहूँ तुमसे, तुम मेरी क्या बन गयी
दिल मेरी धड़कन मेरी जान बन गयी
दिल मेरा डूबा रहे तेरी यादों में
नादाँ ये खोया रहे तेरी बातों में
ख्वाब तेरे ही आये मुझे रातों में
मचल जाता हूँ इन बरसातों में
मन भी तेरी यादों में बेहाल रहे
याद सताए तेरी, बुरा हाल रहे
दिल में भी हरदम ये ख्याल रहे
न मिलने का मन मे मलाल रहे
देखो खूबसूरत, सारी ये समा बन गयी
क्या कहूँ तुमसे, तुम मेरी क्या बन गयी
दिल मेरी धड़कन मेरी जान बन गयी
तेरे चेहरे से ही मेरा दिन ये चढ़े
महसूस तुझे कर ये शाम ढले
दिल मे तुझे पाने के खाब पले
आँखे इस चेहरे की किताब पढ़े
तेरी याद से ख्वाब सजाती हूँ
तेरी ओर खुद को ले जाती हूँ
मिलने के बहाने मैं बनाती हूँ
तेरी ओर खींची चली आती हूँ
इस मोहब्बत में तुम मेरी खुदा बन गयी
क्या कहूँ तुमसे, तुम मेरी क्या बन गयी
दिल मेरी धड़कन मेरी जान बन गयी
इन आंखों में तेरा ही अक्स रहे
कुछ पल ही नही हर वक़्त रहे
आशिक ये तेरी याद में मस्त रहे
धड़कन भी ये हर दम जस्त रहे
क्या कहूँ तुमसे तुम मेरी क्या हो
रब हो जहाँ हो तुम मेरी खुदा हो
प्यार हो तुम मेरी हा मेरी गुमां हो
रग रग में हा मेरी तुम तो फना हो
दर्द की हाँ मेरे तुम अब, दवा बनी गयी
क्या कहूँ तुमसे, तुम मेरी क्या बन गयी
दिल मेरी धड़कन मेरी जान बन गयी
क्या कहूँ तुमसे, तुम मेरी क्या बन गयी
दिल मेरी धड़कन मेरी जान बन गयी
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