जरूरत क्या है

उसकी  आँखों मे सारा संसार समाया है, 
पढ़ने के लिए इस अखबार की जरूरत क्या है।

आशियाना हमने उनके दिल मे बनाया है, 
अब रहने के लिये घर - बार की जरूरत क्या है।

जब मेरा है वजूद ही आपकी मोहब्बत है,
फिर हमारे लिए इस संसार की जरूरत क्या है।

एक नज़र  देख लो हम यूँ ही मर जायेंगे,
कत्ल के लिए तुम्हे तलवार की जरूरत क्या है।

आप आगोश में मुझे ले तो बात बन जाये,
फिर मुझको किसी गुलहार की जरूरत क्या है।

आपकी  आंखों में ही सारा जादू टोना है,
दिल फरेबी के लिए अय्यार की जरूरत क्या है।

आज आपके माथे पे बिंदिया सजी है,
मेरे हुजरे में किसी चमकार की जरूरत क्या है।

ये दिल की बात है दिल से ही समझ लो,
होंठो से कह कर ही इज़हार की जरूरत क्या है।

उनसे इश्क़ ने ही हमको मशहूर कर दिया,
अंजाल के लिए भी इश्तेहार की जरूरत क्या है।

आप ना चाहो तो भी हम आपको चाहेंगे,
मोहब्बत  के लिए हकदार  की  जरूरत क्या है।

ये दिल आपके इशारे पे बेमोल बिक जाए,
इसे खरीदने के लिए बाजार की जरूरत क्या है।

जब मेरी मोहब्बत काफी है आपके लिए,
फिर मेरे लिए आपके प्यार की जरूरत क्या है।

जब बात  दोस्त  बना कर ही बन जाये,
तब फिर किसी से तकरार की जरूरत क्या है।

तेरी बोली कानो में शहद सी घुलती है,
सुनने के लिए मुझे  झंकार की जरूरत क्या है।

आपका एक इशारा हो हम लुट जाएंगे,
बर्बादी के लिए हमे जमींदार की जरूरत क्या है।

भाइयो में मजहबी ठप्पा ही काफी है,
अलगाँव के लिए किसी दीवार की जरूरत क्या है।

झूठ बोलने में आप बड़े माहिर रहे है,
दूसरे  किसी और  अदाकार की जरूरत क्या है।













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