उसका इंतेज़ार

कब मिलेगी ये चाहत जो तुम्हारी आँखों मे नज़र आती है
सिर्फ  इसी इंतेज़ार में सदियों की सादियां गुज़र जाती है

जाने कब अपने दिल का हाल मुझे सुनाएगी वो लड़की
जो पड़ोस से चाय की पत्तियों के बहाने मेरे घर आती है

नही जानता अपने दिल का हाल वो मुझे  कैसे कहेगी
किसी के सामने वो तो नज़रें मिलाने से भी डर जाती है

कुछ भी तो कह नही पाती वो, जब बाते करने आती है
बड़ा शरमाती है जब उसके चेहरे पे मेरी नज़र जाती है

मुझसे मिलने  के सौ बहाने वो लड़की खोजती रहती है
जिस रास्ते पर मैं  जाता  हूँ वो पगली भी उधर जाती है

मेरी मौजूदगी  उसके  चेहरे को अक्सर खिला जाती है
और जब नज़ारे मिलाके मुस्काती है तो निखर जाती है

सजने के लिए उसको जश्न की कोई जरूरत ही नही है
वो दीवानी  बस मेरा नाम सुनती  है और  संवर जाती है

यहाँ मैं भी  कोई कम  दीवाना नही  बना उसके प्यार में 
दिखती है बस वही मुझे जहाँ तलक मेरी नज़र जाती है

आंखो को बंद करके भी वो मुझको महसूस कर लेती है
वो मेरे आने की बस  आहट सुनती है और ठहर जाती है

उसकी रूहानी आंखों में खो जाने  से रोक नही पाता हूँ
मेरे लिए वो दुआ मांगने जाने किस खुदा के घर जाती है

ये बस खुदा ही जाने  की कैसे वो मेरी बाहों में आएगी
बड़ी नाज़ुक है  वो मेरे  हाथ पकड़ते ही सिहर जाती है


फरिश्ते जिंदगी की दुआ मांगते है परिया भी शरमाती है
वो जहाँ से गुजरती है एक खुश्बू हवा में बिखर जाती है



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