Posts

Showing posts from 2020

जज्बात

किसान

जरा सोचिए की प्राइवेट व्यापारियों को अनाज खरीदने के लिए एमएसपी की कोई न्यूनतम सीमा ना हो, और उन्हीं अंबानी अदानी टाइप व्यापारियों को अन्न भंडारण की असीमित शक्तियां दे दी जाएं, क्या हाल होगा देश में महंगाई का। मतलब कि किसान से दो रुपये किलो चावल खरीद कर अम्बानी अडानी टाइप लोग असीमित स्टोरेज कानून की वजह से पूरे देश का चावल अपने पास स्टोर कर लेंगे। और जब देश में चावल की कमी होगी तो वही दो रुपये किलो वाला खरीदा हुआ चावल अंबानी अडानी टाइप लोग दो हज़ार रुपये किलो में बेचेंगे जी। हां कुछ ऐसा ही है भारत के "अतिप्रिय" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का नया किसान बिल।

सुदर्शन

आग

वाह जज साहब वाह। "अगर आपको इनके चैनल पर प्रसारित किए जाने वाला कंटेंट पसंद नही है तो आप इनका चैनल मत देखिए" ये वाक्य जस्टिस चंद्रचूड़ ने अर्णब की जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा।तो इस आधार पर कुणाल कामरा पर केस का कोई औचित्य नही है। क्योंकि "माननीय" कोर्ट को उनका ट्वीट पसंद नही तो न्यायालय को ट्वीटर नही देखना चाहिए। कम से कम जस्टिस चंद्रचूड़ और उनकी बेंच के मुताबिक तो यही होना चाहिये।और अगर अर्णब बोलने की आज़ादी से 2 महीने तक एक लड़की को दिन रात देश के सामने सवालों।के घेरे में रखता है तो मैं भी उसी आज़ादी के माध्यम से ये सवाल पूछता हूँ कि क्या कोर्ट और के नाम ले आगे "माननीय" लगाना अनिवार्य है? कोर्ट के फैसले पर सवाल क्यों नही उठाया जा सकता है ? वो भी तो मेरी अभिव्यक्ति की आज़ादी है। और हमे वो तब, जब "अतिमाननीय" जज साहब "उधारी" की हार्ले डेविसन पर घूमते दिखे थे।

निशानी

ख्वाबो का माहताब

भगत सिंह हमको याद रहेगी तेरी कुर्बानी

इंकलाब

बेटियों का नर्क

प्रेम पंजीरी

माँ बहुत दर्द सहकर

मन मोह के बंधन से बंधा जाता है

तब भी हम प्यार के नगमे गाएंगे

पराक्रमों विजयते वीर अहीर

संघर्ष के आदी, समाजवादी

वादा

ख्वाबो की दुआ

झूठा आईना

अखबार

झांके मुसका के

वतनपरस्ती

तानाशाही वजीर

आज विश्वास है सच का आभाष है

भारत माँ का अनकहा दर्द

जेबो में आशाएं

कौन मारेगा कोरोना को, है कउनो जो ई कोरोना को पकड़ के कान के नीचे दो गो लगाए और उसे भगा दे। साहबे ऐसा कर सकते है। हमको तो इहो लग रहा है कि ई जो साहब दाढ़ी मुच्छवा बढ़ा रहे है न, यही में कोरोना को फँसा फँसा कर मार डालेंगे।ई हॉस्पिटल वालो समझे नही आता कि साहेब के रहते पीपीए किट और दवाई की का जरूरत है। ई सब दुनिया भर कर वैज्ञानिक लोग देखता भर रह जाएगा और हमरे साहब कोरोना को लतिया लतिया कर इतना लतियाएँगे कि कोरोना दाँत चियार कर कोनिया जाएगा।

खोई काशिश

कांग्रेस ने इन दोनों नेताओं को उनकी मेहनत का फल न देकर दो ऐसे लोगो को दिया जिनके नाम पर वोट ही नही पड़े। अगर निष्पक्षता से देखा जाए तो सिंधिया और पायलट दोनो ने सिर्फ अपने अपमान का बदला लिया है। इनके राजनीतिक दलगत बदलाव को मैं गलत नही मानता। क्योकि सरकार आने के बाद इन दोनों ही नेताओ को खुद की सरकार द्वारा नीचा दिखाने का पूरा प्रयास किया गया।