कौन मारेगा कोरोना को, है कउनो जो ई कोरोना को पकड़ के कान के नीचे दो गो लगाए और उसे भगा दे। साहबे ऐसा कर सकते है। हमको तो इहो लग रहा है कि ई जो साहब दाढ़ी मुच्छवा बढ़ा रहे है न, यही में कोरोना को फँसा फँसा कर मार डालेंगे।ई हॉस्पिटल वालो समझे नही आता कि साहेब के रहते पीपीए किट और दवाई की का जरूरत है। ई सब दुनिया भर कर वैज्ञानिक लोग देखता भर रह जाएगा और हमरे साहब कोरोना को लतिया लतिया कर इतना लतियाएँगे कि कोरोना दाँत चियार कर कोनिया जाएगा।

कोरोना के लिए साहेब ने ऐसी थाली बजवाई , ऐसी बाती जलवाई की कोरोना वाले ही दक्खिन लगने लगे गए।  दुनिया के वैज्ञानिक भी नीरा मूर्ख ठहरे जो ये बात नही समझ पा रहे कि जो कोरोना ससुरा साहेब के भाषण , थाली और बाती से न मर पाया वो अब का वैक्सीन से मरेगा ?  धत्त तेरे के काहे के वैज्ञानिक हो तुम लोग, तुम्हरे पास ई जो हावर्ड, कैम्ब्रिज, कोलंबिया, की डिग्री है न, एका कउनो महत्व नाही बा। अरे इतने बड़े विद्वान होतो तो पूना वाली डिग्री ले आओ। देखो फिर पानी भी मारोगे न तो कोरोना भीग भीग कर दांत चियार देगा। कुछ मूर्ख कह रहे है कि कोरोना टेस्टिन्ग में भारत का 55वा स्थान है, अरे मूर्खो उससे कोरोना थोड़ो भागेगा, ये पता करो विधायक खरीदी में साहेब कौन स्थान पर है, उससे जाएगा कोरोना। 



ये सपाई भी नासमझ है, बोलते रहते है कि कोरोना से लड़ने के लिए ठोकीदार कुछ नही कर रहे है, अरे भाई उनको समझना चाहिए कि उनको कोरोना की सबसे ज्यादा चिंता है।  ये तो उनके लिए निजी विचार की विषयवस्तु भी है। अब इहो हमने समचारवा में सुना था कि गांजा , सिगरेट पीने वालों को कोरोना जल्दी पकड़ता है और छोड़ता नही है। तब सपाई लोगो को समझाओ भाई, की उनको अपना खुद का ख्याल तो रखना ही पड़ेगा ना। और जब अपना ख्याल रखेंगे तो सबका खयाल खुदे हो जाएगा। अब बूटी ही काम आएगी । करना का है कुछ नही बस गाते रहो " बाबा जी की बूटी , ल ला ला ला ला"

बूटी की कृपा इतनी अपरम्पार है की सारे आइसोलेशन सेंटर में सब कुछ ऑटोमेटिक व्यवस्था बना रखी है। मरीजो के लिए "सर्विसेज टू योर बेड" वाली सर्विस चालू है। मैंने अपनी आंखों से देखा , आइसोलेशन वार्ड में मरीजो के बेड के बगल में ही नहाने धोने की व्यवस्था करवा रखी है गोरमिंट ने। बेड के बगल से झर-झर झर-झर झरना गिर रहा था। और सब उस सर्विस का आनंद ले रहे थे। लेकिन बताओ तो जरा जलनखोर , ईर्ष्यालु सपाई उसका भी विरोध कर रहे थे। कह रहे थे कि छत खराब थी ,पानी गिर रहा था।  अरे कोई इन सपाईयों को समझाओ की बूटी लेने के बाद एक दो पाइप इधर उधर लग सकती है,  लेकिन उसको भी शावर बना कर पेश करना चाहिए।  और मूर्ख मरीजो को भी समी शिकायत करने की जगह उसमे झरने का परम आनंद लेना चाहिए। इसी को तो कहते है "आपदा में अवसर"

अब कोई सपाईयों के सरदार को समझाओ की मजदूरों और गरीबो की सेवा अपना निजी पैसा देने से नही होती, राशन देने से नही होती, उनको मुआवजा देने से नही होती। बल्कि मजदूरों की सेवा तो लेबर कानून को हटा कर की जाती है। फाइलों में काम को दिखा कर सेवा को जाती है। खाने पीने और आने जाने पर टैक्स बढ़ा कर सेवा होती है। अब नादान सपाई और उनके अध्यक्ष लगे है घर घर राशन पहुचाने में, गरीबो को पैसे देने में, और इलाको की सेनिटाइज करवाने में। करते रहो तुम लोग । ये सेवा थोड़ो होती है। असली सेवा बाबा जी से सीखो, अन्न से पेट भरे न भरे अपनी बातों से सबका पेट भरते है। बाबा जी शास्त्रो को बहुत मानते है, उसमे भी लिखा है "मन की तृप्ति ही सम्पूर्ण तृप्ति है" । अब बाबा जी भी तो वही कर रहे है। अब ये सपाई लगे हुए है उनको अयोग्य और निरंकुश बताने में। 

अब अकेले ये सपाई ही नही , ये मुये कांग्रेसी भी बड़े नादान है , इनको कुछो नाही आता। बोलते है कि साहेब ने कुछ किया ही नही कोरोना से लड़ने खातिर।  बताओ जरा क्या नही किया हमारे साहेब ने कोरोना को मारने के लिए। पीएम केअर में पैसा जुटाए, मध्य प्रदेश में सरकार बना दी, राजस्थान में कोसिस में लगे हुए है।  दिन रात टीवी पर आए, और जितनी बार आये उतनी नही स्टाइल में कई शायद कोरोना स्टाइल देख कर मर जाये। अब बताओ नादान गहलोत कह रहा है कि "सरकार को पैसे के दम पर अस्थिर किया जा रहा है। वकीलो की 50 लाख की फीस कौन दे रहा है। होटलो का किराया कौन दे रहा है"। अरे भाई गहलोत, पीएम केअर का पैसा का इस्तेमाल तो करना ही होगा न।  अब इस्तेमाल नही होगा पैसा तो कोरोना से कैसे लड़ेंगे साहेब। और नही इस्तेमाल करेंगे तो तुम्ही कहोगे की पैसे का इस्तेमाल नही हुआ। 

अब कहेंगे कि पैसे से कोरोना भगाने के लिए दवा खरीदनी चाहिए, वेंटिलेटर खरीदना चाहिए। तो फिर बताना चाहिए मूर्खो को की कोरोना दवा या वैक्सीन से थोड़े भागेगा। कोरोना भागेगा " गो कोरोना गो" बोलने से, थाली पीट पीट कर तोडने से ,मोमबत्ती जलाने से, और तो और कोरोना गाय का मूर्त पीने, गोबर खाने से भी जाता है। और ये सब चीज़ें तो मुफ्त में मिलती है। उसके लिए पीएम केअर के पैसों की क्या जरूरत ?


"गो कोरोना गो" श्री श्री एक हज़ार आठ बाबा अठावले जी आठ रुपये की पुड़िया लेने के बाद बोल ही देते है। थाली तो सबके घरवे में मिल जाती है, जेके पास हमाओ जइसे थाली और बत्ती नाही है, ऊ जाकर लंबू बच्चनवा से ले ले, या ऊ टकलू खेरवा से लेई ले। अब बच गवा गोबर और मूत्र । तो ऊ अउर आसान है। बस हरिद्वार वाले कड़िये बाबा के पास चले जाओ, इतना मूत्र और गोबर देहिये की पूरा का पूरा गांव नहा लेगा उसमे। कुल मिला कर कोरोना से लड़ने के लिए 8 रुपये की पुड़िया  बच्चन के घर जावै का भाड़ा, अउर खेरवा के घरवे जावे के भाड़ा लगेगा। उतने में हम निपट लैहिये कोरोना ससुर का नाती से। झुट्ठे पीएम केरवा का पैसा खर्च करवा रहे ई फालतू काम मे। 

अब साहेब अपने भक्तों से ये काम फ्री में करवा रहे है। लेकिन का करे साहब की परेशानिया भी तो ससुरी कम नाही है। एक तो उनको ऊ नेहरू काम नाही करने देते, और जब वो अपने भक्तों से काम करवावत है तो ई बंगाल वाली दीदी उनके भक्तों को पुण्य का काम नही करने देती। अभी अभी उत्तरी कोलकाता के जोरासाखो इलाके के स्थानीय पार्टी भक्त  नारायण चटर्जी ने एक दिन एक गोशाला में गो पूजा कार्यक्रम का आयोजन कर दिया था। और उसके उसके बाद प्रसाद वाला गोमूत्र वितरित किया । उसने दूसरों को गोमूत्र देते हुए इसके ‘चमत्कारिक’ गुणों का जिक्र किया था, और सबको बताया था कि इससे कोरोना भाग जाएगा। 

लेकिन का हुआ कि ऊ गोशाला के पास तैनात एक नागरिक स्वयंसेवी ने भी गोमूत्र का सेवन किया और मंगलवार को बीमार पड़ गया, जिसके बाद उसने नारायण चटर्जी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। बताओ अब संघी भाई भी भक्तो के ऊपर मुकदमा सुकदमा लिखवाने लगे है। लेकिन का कहने हमारे साहेब के भक्तों के भक्ति का।  नारायण चटर्जी की गिरफ्तारी पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने राज्य सरकार की निंदा की । और कहा कि " हम इस गिरफ्तारी की कड़ी से कड़ी निंदा करते है" । बस फिर क्या था, निंदा जोर से कड़कड़ाई और कई भक्तो कर सरदार कड़कड़ाने आ गए। 

प्रदेश भाजपा महासचिव सायंतन बसु ने कहा, ‘नारायण चटर्जी ने गोमूत्र का वितरण किया लेकिन लोगों से उसने धोखे से उसे पीने को नहीं कहा। जब उसने इसका वितरण किया तो साफ तौर पर बताया कि यह गोमूत्र है, उसने किसी को इसे पीने के लिये बाध्य नहीं किया। यह प्रमाणित नहीं है कि यह नुकसानदेह है या नहीं,।ऐसे में पुलिस बिना किसी कारण के उन्हें गिरफ्तार कैसे कर सकती है।यह पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। इतने नाही भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि गोमूत्र पीने में कोई नुकसान नहीं है और उन्हें यह स्वीकार करने में कोई पछतावा नहीं कि वह इसका सेवन करते हैं। अच्छा हुआ इतने पर रुक गए कही कह देते की गोबरो का सेवन करते है तो फिर हमारे संदीप पात्रा जी को कम्पटीशन मिल जाता। 


अब लोगवा समझते ही नाही को सारा विश्वपटल साहेब को कितना प्यारियाता है, अब ऐसा हो भी क्यो न, पूरे "600 करोड़" लोगो ने वोट देकर उनको चुना जो है। साहेब भी अकूत प्यारियाते है देश कल और उसकी जनता को। देश के जनता प्रेम और राष्ट्र प्रेम का ताजा उदाहरण कोरोना महामारी के जरिए प्रदर्शित हो रहा है और ये प्रेम सारे राष्ट्र में सैलाब बनकर बह रहा है। उनका जनता और राष्ट्रप्रेम सबसे पहले तब नजर आया जब उन्होंने जनता से ताली-थाली बजाने का अनुरोध किया ताकि कोरोना को बहरा किया जा सके।  इतनी आवाज हो इतनी आवाज की की  ई ससुरा कोरोना का कान के पर्दा ही फट जाए। अब साहेब बोले और कोई करे न , ऐसा कभी कुछ हुआ है का ? 

सो जनता ने उनके आव्हान पर घर से निकल आयी।भक्तगन खूब घूम -घूम कर नाचने और गाने लगे।  खूब ताली बजाई और कोरोना उस कान फोड़ू आवाज के तीव्रता को सुनकर बहरा हो गया। यह साहेब युक्ति की कोरोना पर पहली विजय थी। और विजय भी ऐसी की पहली ही पारी में साहेब ने कोरोना को चारों खाने चित्त कर दिया। ससुरा कहाँ से उठता।  लेकिन समझ मे नही आया कि उसको फिर से शक्ति कहा से मिल गयी , जबकि साहेब ने भरपूर काटा था उसको। 

अब बहरा होने के बाद भी कोरोना देश भर में घूमता रहा  और लोगो को चिमट चिमट कर पप्पी लेता रहा। फिर पता चला कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कोरोना के आंखें और हाथ- पैर सलामत है। इस बात से साहेब थोड़ा परेशान जरूर हुए लेकिन हताश या निराश नही। फिर लाक डाउन में बैठे-बैठे साहेब जी को एक और उपाय समझ आया कि यदि सारे देश में कुछ देर के लिए लाइट बंद कर दी जाए, दीया- मोमबत्ती जला दिए जाएं  और भक्तो को बोल दिया जाए को सड़कों पर जुलुष निकाला जाए तो करोना को न सिर्फ अंधा करके पकड़ा जा सकता है बल्कि उसके हाथ-पैर काट कर उसे मारा भी जा सकता है। और जुलुष के माध्यम से कोरोना को सड़क का रास्ता पकड़ा कर वापस चीन भेज दिया जाए। 


इसलिए साहेब एक बार फिर से प्रकट हुए और पूरे उन्होंने देशवासियों से अपील की  कि वे 5 अप्रैल को रात 9:00 से नौ मिनट के लिए घरों की लाइट बंद कर दें और दीए,मोमबत्ती या मोबाइल की टॉर्च रौशन करें। वो शायद इसलिए कि साहेब को अपने दिव्य चक्षुओं से ये ज्ञान मिला होगा कि यदि कोरोना को आठ मिनट उनसठ सेकंड से ज्यादा अंधेरे में रखा जाय तो वो अंधा सो जाएगा।पूरे देशवासियों को और भक्तो को विश्वास था कि साहेब इस युक्ति से 9 मिनटों में उसका कत्ल करके देश को उसी तरह कोरोना मुक्त कर देंगे जैसे उन्होंने बिहार को, कर्नाटक को और हाल ही में मध्यप्रदेश को कांग्रेस सरकार से मुक्त कर दिया है।

लेकिन अफसोस रहा की साहेब के इतने कोसिस के बाद भी कोरोना नही मरा। बल्कि और ताकतवर हो गया। अब तो हमको इसके पीछे नेहरू का हाथ लगता है। उहै बीच में आकर गलत थाली बजा दिए होंगे इसीलिए कोरोना मरने के जगह और ताकतवर हो गया। और कई लोगो को लपेट लिया। उसका मन बहुत बढ़ गया। बताइये इतना मन बढ़ गया कि थाली वाले बच्चनवा को भी हो गया। जो जो थारी बजाया ऊके घर मे सबको हो गया। साहब को सीबीआई जांच करवावेके चाही को जया भदुड़ी को काहे नही हुआ कोरोना, ऊ यो थरियो नही बजायी थी। 


हमके पूरा विश्वास है को हमरे साहब  जी अकेले ही कोरोना को तड़पा- तड़पा कर मार डालेंगे। विश्व देखेगा कि भारत बिना किसी चिकित्सीय सुविधा के कोरोना से मुक्त हो जाएगा और मोदीजी को सारा विश्व नमन करते हुए भारत को विश्व गुरु मान लेगा। लोग देख लेंगे की भाषण से भी महामारी का इलाज किया जा सकता है। जब पास में कोई उपाय या सोच न हो तो कैसे बकैतिया करके पूरे देश को सूरा रास में डुबाया जा सकता है। उसके बाद ही दुनिया के वैज्ञानिकों को यह समझ में आएगा कि साहेब सिर्फ एक दो आईडिया से कैसे एक महामारी को महोत्सव में परिवर्तित कर उसका खात्मा कर सकते है । 

अब जो लोग ई कह रहे है कि डॉक्टरों को पीपीए किया नाही मिल रहा है, या सुरक्षा के उपकरण नही मिल रहे है। या स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी हो रही है तो तो ऐसे महा मूर्खों से मेरा कहना है कि सिर्फ जनता और डाक्टरों से ही देश नहीं बनता है। देश बनता है उद्योगपतियों से। इलाज दवाई खाने से नही होता, इलाज होता है घंटा बजाने से। 

इसी लिए साहब ये बात समझते है कि जनता से अधिक उद्योगपतियों के हितों की रक्षा करना सर्वोपरि है, उनका खयाल करना और समय समय पर उनका पूजन करना बेहद जरूरी है जो साहेब लगातार कर रहे हैं और उसमे किसी भी तरह की कोई कसर नही छोड़ेंगे।साहेब ये बात तो अच्छे से जानते है कि ये मूर्ख जनता तो आती- जाती रहेगी लेकिन यह उद्योगपति शास्वत हैं, सार्वभौमिक है, सर्वविद्यामान है, उनकी सेवा करना धर्म की सेवा करना है उनका खयाल रखना भगवान के ख्याल रखने के बराबर है। और हमारे साहेब अब इस काम मर जरा भी कोताही नहीं बरत रहे हैं। सारे काम फुल डेडिकेशन से कर रहे है। 


अब रही बात देश कर लोगो को कोरोना से बचाने की तो यह बात तय समझना कि जैसे साहेब ने कोरोना को बहरा किया थाली बजवा कर, अंधा किया मोमबत्ती जलाकर, वैसे ही साहेब एक न एक दिन जरूर कउनो उपाय खोजिहे और इस ससुर कर नाती कोरोना को लंगड़ा, लूला, आन्हर बहिर, और आगल पागल बना कर चलता करेंगे। और एक दिन आप सभी लोग साहेब द्वारा कोरोना के कत्ल किए जाने की ख़बर सारे टीवी चैनल पर आप अपनी आंखों से देखेंगे । तब आप ये भी देखेंगे कि आपके साथ सारे विपक्षी-आलोचक भी ईश्वर से सिर्फ  यह दुआ करते नजर आएंगे कि है ईश्वर साहेब को हज़ार साल जियाओ ताकि देशवा का बच्चा बच्चा , गाय गोरू, खूँटा पगहा,  गोंजर तीतर, झेंगुर रेन्गुआ सब साहेब की छत्रछाया में पले बढ़े ।  ........ इति कथा समाप्तम


नारायण नारायण




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