आग
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
मत खेलो तुम अब सीने में दबी हुई उस चिंगारी से
भड़की जो हटा देगी तमको जीवन की दावेदारी से
झूठी आंखे झूठे सपने तुम मुझको मत दिखलाओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
नाम रहेगा न निशान रहेगा ऐसा कुछ ये मंजर होगा
सूखे पत्ते बिखरे टूटी कलियों से आंगन बंजर होगा
जुनून बड़ा है मेरा हथियारों संग इससे मत टकराओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
संघर्ष बड़ा है तुमसे, स्वाद चखा भी तुमसे ज्यादा है
खामोशी साधे जो खड़ा हूँ, ये मेरी अपनी मर्यादा है
पाठ सभ्यता का सम्मान का अब तुम भी पढ़ जाओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
चीर के बदकिस्मती का दामन आगे मैं बढ़ जाऊंगा
पर्वत खड़ा किया जो तूमने सब पर मैं चढ़ जाऊंगा
सुलझे से जवाबो को मेरे सवालों से मत उलझाओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
पीर कही ज्यादा झेला,मैं हर मौसम से टकराया हूँ
काटों की खेती में भी पथ सुनिश्चित कर आया हूँ
चलना कैसे उन राहों में मुझको तुम मत सिखलाओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
मेरे टूटे खप्पड़ की खुशिया तेरे महलो से ज्यादा है
उड़ान तुम्हारे जीत की ये मेरे हौशलो से आधा है
जश्न मना झूठ का जीत पे अपनी तुम मत इतराओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
कपट फरेब की मंडी लगा तुमने सबको झुठलाया है
झूठी बातो से फुसला कर तुमने सबको बहकाया है
जर्रा जर्रा बांट दिया अब हवाओ को मत बटवाओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
मुफलिसी में भी नाफरमानी की शौक जरा पुरानी है
हँसते चेहरे पर आती गुस्से की, मौज जरा पुरानी है
वतन में खुशियो की हिस्सेदारी को मत बिखराओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
शस्त्र सारे टूटे तो क्या बाहु का जोर अभी बाकी है
मुख मौन है तो क्या शक्ति का शोर अभी बाकी है
शरणागत बन आये खुद को वीर तुम मत कहलाओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
वार से मेरे गगन, तल ,पाताल सारे छोटे पड़ जाएंगे
तीव्र वेग है प्रहार मेंरा, राह के सारे रोड़े हट जाएंगे
बिगुल है युद्ध का ,डर की झनकार मत झनकाओ
आग बची है कितनी ये तुम मुझको मत बतलाओ
वजूद जो बोल रहा मेरा उसको तुम मत झुठलाओ
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