ख्वाबो का माहताब
ना उम्मीदी भारी आंखों का एक ख्वाब बन जाओ
किसी की रातो सी जिन्दगी का महताब बन जाओ
तक कर सो गए जो खुशनुमा मंजर के इंतज़ार में
खामोश कब्रो पर क़यामत का आफताब बन जाओ
जो खुद अपना ही साया तेरे आंगन का मेहमान बने
जो मिल न सके आसानी से ऐसा हिसाब बन जाओ
खामोशी अक्सर तोड़ देती है सच सुनने का भरम
कहानी कह दे सबकी ऐसी एक किताब बन जाओ
ऊँचाई अक्सर सर को झुका देती है लोगो के सामने
जिसके आगे सब सर झुकाए वो मेहराब बन जाओ
अल्फाज अक्सर नही पूरा कर पाते है सवालों को
जो खामोशी कह जाए ऐसा कोई जवाब बन जाओ
यूँ तो अक्सर लहरें मिटा देती है लोगो के वजूद को
पर जो कहानियाँ सुना जाए वो चिनाब बन जाओ
दुनियां पर छाने वाले बहक जाते है किसी याद में
जिसके सुरूर में दुनिया बहके वो शराब बन जाओ
बहती नदियाँ उजाड़ देती है लोगो के आशियाने को
जो समेट ले लहरों को खुद में वो तालाब बन जाओ
फूलो की डाली फीकी हो जाती है उदास चेहरों से
जो उदासी खुशबू से महकाये वो गुलाब बन जाओ
वतन परस्ती की दास्ताँ लोग कहे तेरे जाने के बाद
कतरा कतरा कुर्बान करे ऐसा इंकलाब बन जाओ
गुलामी नाकारी के सारे मौसम बहुत आते रहते है
बदल दो इन मौसमो को इतना कामयाब बन जाओ
जिंदा रहने की कोसिस मरने से भी बद्दतर होती है
मरकर भी लोग जिंदा रखे ऐसा सोहराब बन जाओ
रात में कलियाँ भी भवरों का आशियाना नही बनती
भटकतो को खुदमें बसाए ऐसा असबाब बन जाओ
गुमनामी रात में नाम के साये को भी छुपा जाती है
मोहताज न हो पहचान की ऐसा खिताब बन जाओ
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