मन मोह के बंधन से बंधा जाता है
तेरे संग यारी का ये मांझा
तेरी ओर खिंचा जाता है
तुझसे लगन का ये धागा
बस तुझसे बंधा जाता है
कुछ ऐसा हो तू मेरी हो जाये
कुछ ऐसा हो तू मुझमे खो जाए
तुम्हारी तस्वीर की वो झलक
मुझे ख्वाबो में दिखा जाता है
मन मोह के बंधन से बंधा जाता है
खामोशी के आलम में भी
हसी तेरी ये हमें सुना जाता है
मन मोह के बंधन से बंधा जाता है
रोम रोम खिलता है अब
तेरी प्यार भरी बातो से
मन भी खिल उठता है
इन प्यारे एहसासों से
अब कोई भी पास न आये
चाहत का ये एहसास न जाये
बन्द आंखे हो तो ये भवरा भी
नया गीत कोई गुनगुना जाता है
मन मोह के बंधन से बंधा जाता है
ये वक़्त बस यूं ही ठहर जाए
सामने मेरे तू बस यूँ बैठी रहे
खामोशी में सारे लम्हे बीते
हम दोनों से कोई कुछ न कहे
तब तेरी पलको का उठकर झुकना
एक पागल सा हमको बना जाता है
मन मोह के बंधन से बंधा जाता है
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