वतनपरस्ती

अपनो में रहो या परायो में रहो बस ये एक पहचान जरूरी है
इबादत खुदा की करो न करो ,बस वतन का बखान जरूरी है
है जो इश्क़ तुझको इस मिट्टी तो बस इतना काम कर देना
लफ्ज ये तेरे कुछ भी कहे,पर इस सीने में हिंदुस्तान जरूरी है


तेरी आसुदा के लिए वतन से इश्क़ तो मैं आजमाने से रहा
तुझे साबित करने के वास्ते इससे मोहब्बत तो मैं दिखाने से रहा
ये तेरी तलवारो की धार पर लहू है न जाने कितनों सरो का
डर कर नुमाइशी बनू मुल्क का, ये खौफ तो मैं खाने से रहा


किसी को दिखाकर कभी भी हमने इससे मुहब्बत नही की
मुल्क की सलामती के सिवा खुदा से कोई इबादत नही की
इस मिट्टी की खुशबू भी बहुत सुहाती है मेरी शख्शियत को
मगर इसके लिए हमने कभी वतन से कोई सियासत नही की


आज जो बैठे है तख्त पर, कल वो चेहरे सारे बदल जाएंगे
महलो में रहने वाले कल सूनी वीरान गलियों में निकल आएंगे
तेरा ये गुरूर ये ताकत, आजमाइश है सिर्फ पल दो पल की
वो भी वक़्त आएगा जब तेरे तख्त तेरे किले सारे मसल जाएंगे



जो तू सुल्तान है तब अवाम को अपनी शाहदारी तो दिखा 
गर बात ईमान की है, इनको थोड़ी सी ईमानदारी तो दिखा
थक गये होंगे तेरे ये दोनों हाथ अब लहू साफ करते करते 
हकीकत आ रही है तेरी सामने, अब अपनी अय्यारी तो दिखा


यहाँ हर शख्स पूछ रहा है तुझसे बता उसकी खता क्या है
जो यूँ बेंच रहा है तू पुरखो की हवेली, बता तेरी रजा क्या है
खौफ नही है तेरे इस बेमिसाल जहनियत की मेरे आंखों में
गर तेरी खिलाफत है गुनाह तो अब बता मेरी सजा क्या है

तोड़ सके जो मेरे जुनून को अब तुझमे इतनी ताकत नही है
उस जुल्मी आलमगीर जैसी यहाँ तेरी कोई हुकूमत नही है
मत भूल की तू सिर्फ एक किरायेदार है इस तख्त पर आसीन 
जो हुक्म तूने दिए वो खुदा की लिखी कोई सदाकत नही है

ये बुजदिली है तेरी,जो अब माँओ के लाल सारे इन सरहदों में बैठे है
तुझे मुकाम पर पहुचाने वाले सारे बुजुर्ग अब अपने बरामदों में बैठे है
सुना है यहाँ ईमानदारी की सज़ा तूने मौत मुकर्रर किया है 
आसमाँ सी उचाइयाँ मिल रही है उन्हे , जो तेरी  खुशामदों में बैठे हैं

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