ख्वाबो की दुआ

कुछ हकीकत अपने पास रखो, अभी ख्वाबो का दौर जारी है
किस्से तो सारे गुलाबी है लेकिन अब मामला पूरा 
सरकारी है


जरा समझ कर कदम बढ़ाना जज्बातो के इस बाजार में
रिश्ते नाते यारी सब हल्के है यहाँ सिर्फ मतलब भारी है

शाम तक तू भटक भी जाये तो यहाँ कुछ हासिल न होगा
ये पूरा मुर्दों का शहर है यहाँ सबकी अपनी अपनी तैयारी है


यहाँ सिर्फ चींखें है,खामोशी है और टूट कर बिखरते
हौसले है
सुना तेरे इस खूबसूरत घरौंदे का मलिक बड़ा ही अत्याचारी है


चिराग अगर रौशनी भी करे तो आँधियाँ उस पर टूट पड़ते है
मेरे घर में बह रही हवाओ की भी अब अंधेरे के साथ यारी है

दरिया, कश्ती, साहिल, पतवार के किस्से न सुनाना मुझको
अपनी तो इस समंदर से लड़ कर पार निकलने की बारी है


रात भी बैठी सिसक रही है खिड़की के उस उजाले के लिए
दिन की रौशनी पर भी अब चमकते जुगुनूओ की दावेदारी है


बरामदे की वो खाट भी अब जर्जर होकर टूटने को हो चली
जिस पर थके हुए मुसाफिर को सुकू से सुलाने की जिम्मेदारी है


तमाम उम्र सिर्फ अपनी तिजोरियों की ही भूख मिटाता रहा 
इसके हज़ारो लाखो को छोड़कर अब बस शून्य पर सवारी है


सुना है कि अब जल रहा है उसके किले का वो बड़ा दरवाजा
अभी ये नफरत की आग नही ये सिर्फ मेरे गुस्से की चिंगारी है


सिर्फ मेरे दुश्मनो की मज़ाल नही जो मुझे शिकस्त दे सकें
मेरे पीठ में जो ये खंजर है उसमें मेरे अपनो की भी हिस्सेदारी है


न पूछ वतन की इस मिट्टी से आज भी हमे कितनी मोहब्बत है
जवानी और इसकी कहानी क्या हमने इसपे अपनी जिंदगी वारी है 


यकीन नही होता तुम्हारे बदले बदले से  इस शख्शियत पर
तुम्हारी ये नजरें झूठी हैं, तुम्हारे ये सारे किस्से अखबारी है



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