मेरा हाथ पकड़ के चलने वाला अब कलन्दर बन गया है
जिसका भी साथ दिया है मैंने अब वो लश्कर बन गया है
मेरा हाथ पकड़ के चलने वाला अब कलन्दर बन गया है
अरे तुम क्या लगाओगे मेरे आंख के अंशुओ की कीमत
ये तो जहां जहाँ गिरे है वहा वहाँ एक समुंदर बन गया है
इन सिक्को की खन खन तो का जादू ही कुछ ऐसा है
की इसका डमडम सुन कर मदारी भी बंदर बन गया है
तुम्हारे गुनाहों को माफ कर शायद मुस्कुरा भी दूँगा, पर
उस घाव का क्या करूँ जो मेरे दिल के अंदर बन गया है
तुम ये कहते हो की मैं उसकी बेवफाई सरेआम कर दूं
बस तुम्हारा यही एक मशवरा मेरा दर्दे सर बन गया है
जब तक तुम थे इसमें, ये एक मन्दिर जैसा पावन था
जब से तुम गए मेरा ये दिल काफिरो का घर बन गया है
कही पर आहें,कहीं पर सिसकिया तो कही पे भुखमरी
खुदा तू ही बता मेरे मुल्क का कैसा ये मंजर बन गया है
देवता बेघर हो गए और दानवो का मन्दर बन गया है
मेरा ये गाँव,गाँव नही रहा कोई अजाइब घर बन गया है
Comments
Post a Comment