बसेरा भी था
जो आज अंधेरे मे है वहां कभी सवेरा भी था
पत्थर दिल पर कोई नाम हमने उकेरा भी था।
तुम्हारी इन आँखों की ये वीरानियाँ बताती है,
की बहुत पहले इनमे हमारा बसेरा भी था।
अपने पास आई मोहब्बत की नुमाइश न कर
सुन ले जो आज तेरा है वो कभी मेरा भी था।
घर की दौलत को तिजोरी में बंद रखा करो
जो आज चौकीदार है कल वो लुटेरा भी था।
मन तो था पूस की रात में तुमसे मिलने आऊँ
पर ठंड बहुत थी और कुहरा भी घनेरा था।
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