नज़रो के वार

क़ुरबत है ये खुदा की जो मोहब्बत से नवाजा है
तुम्हारे हसी इस चेहरे को  इनायत से नवाजा है
खुदा ने जब से बनाके तुमको  जमीं पे उतारा है
दीवानो ने तुम्हे तब अपनी इबादत से नवाजा है


उठी जो आँख तुम्हारी तो दुआ सी मुस्कुराती है
झुके जब भी ये पलके तो हया सी ये लजाती है
तेरे कदमो की आहट भी दिलो को धड़काती है
तेरी ये हसीन मस्तिया भी हमे  पागल बनाती है
तुम्हे जब भी देखा है खुदा से  खैरियत मांगा है
तुम्हे छू सके बस उससे इतनी हैसियत मांगा है
तेरी  आँखों  के कत्लों को रियायत से नवाजा है
क़ुरबत है ये खुदा की जो मोहब्बत से नवाजा है



तुम्हारे सिर से तेरा जब ये दुपट्टा भी सरकता है
उस खुदा का भी दिल बड़े जोरो से धड़कता है
तेरी नज़रो के घायल सलामती की दुआ मांगे हैं
जिसे भी नज़रे उठा के वो जिंदगी भर तड़पता है
कगने की खनक तेरी मेरे कानों में खनकता है
जुल्फ की छांव में बादल ये बेमौसम बरसता है
तुम्हारे दीद को उसने किसी आयत से नवाजा है
क़ुरबत है ये खुदा की जो मोहब्बत से नवाजा है



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