तुम्हे पाने की जिद
जानता हूँ ये धोखा मेरे खाने के लिए है
पर मेरी जिद भी तुम्हे ही पाने के लिए है।
मत सोचो ये शायरी बस एक कारीगरी है
इसका हरएक हर्फ़ तुम्हे सुनाने के लिए है।
मैं गर चुप हूँ तो ना सोचना की गिला नही
ये बस तुम्हे बदनामी से बचाने के लिए है।
ये जी तुम्हारे घर के सारे के सारे आईने है
ये भी मेरी मौजूदगी ही दिखाने के लिए है।
दो चार पन्नो से नाम मिटा कर क्या होगा
ये सारा जहाँ मेरा वजूद बताने के लिए है।
ये मजहबी सिक्के मेरी तरफ मत उछालो
ये सब तुम्हारी चोरियां छिपाने के लिये है।
कहते हो हिफाज़त करोगे तुम खुदाओं की
हाथों में तलवार खुद को बचाने के लिए है।
मजहब का धंधा कर सियासत चमकाते हो
ये छाप तिलक सब बस दिखाने के लिए है।
न हिन्दू न मुस्लिम न किसी का घर खतरे में है
ये चोचले तो बस उसकी दुकाँ चलाने के लिए है
खुद को अल्ला और भगवान का बताता है
ये उसका धंधा है सभी को डराने के लिए है।
क्या सोचते हो मेरे मुल्क को तुम मिटा दोगे
यहाँ का हर बच्चा इसपे जान गवाने के लिये है
तुम्हारे तलवारे खत्म हो जायँगी काटते काटते
भारत माँ पर यहाँ इतने सर कटाने के लिए है
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