कुछ खाली वक़्त
इस मुकाम से पहले हज़ारो नाकामियां देखी है
हमने कामयाबी के पहले वाली बर्बादियां देखी है
हमारी शख्शियत बेशकीमती बस ऐसे ही नही है
इस रुतबे से मैने पहले बहुत बदनामिया देखी है
खुली आँखों के ख्वाब टूटने का सबब हमसे पूछो
तुमने तो बस आंखे बंद करके रंगरलियां देखी है
जो जो कमियाँ है वो सारी कमीं निकाल निकाल देंगे
ऊपर खड़े रहोगे और तुम्हारे पैरो से जमीं निकाल देंगे
हमने सुना है बड़ा गरमी गरमी कहते फिरते हो तुम
एक बार सामने आओ तुम्हारी सारी गर्मी निकाल देंगे
मैं तेरे शहर जो आया तो मुसाफिर सा गुज़र जाऊंगा
मैं तो बस एक लहर का झोंका हूँ, मेरा हाथ पकड़ ले
तुझे किनारे पे पहुँचा के मैं काफिर सा गुजर जाऊंगा
जो सरेआम बिक गया हो, उसको क्या इनाम दें
अब तुम्हारे मरे हुए जमीर को हम क्या नाम दें
बाजार खुलते ही ये खुद अपनी बोली लगाता है
तुम्हारे इस आगाज़ को बताओ क्या अंजाम दें
गुरूर में अंधे हो तो तुमको झुका कर ही मानूँगा
हा मैं घायल हूँ पर मजा तो चखा कर ही मानूँगा
बड़े आलमगीर बने फिरते हो तुम इन बाज़ारो में
एक दिन मै तुम्हे भी शीशा दिखा कर ही मानूँगा
खरीदने वाले लाखों है,जो कतारों में खड़े हुए है
ये मेरे ईमान के कायल है, जो पैरो में पड़े हुए है
जहान जीत कर भी क्या बना लिया किसी ने
कई सिकंदरों की कब्रें इन नज़रो में पड़े हुए है
मजबूत तो कुछ इतना है कि ये टूटता ही नहीं है
पकड़े है कुछ ऐसे की ये ईमान छूटता ही नही है
मोहब्बत में अपना सब कुछ लुटाने को हूँ तैयार
पर शहर का कोई लूटेरा मुझे लूटता ही नही है
पहली बार मिला फिर भी रिश्ता पुराना लगता है
अजनबी है वो फिर क्यूँ जाना पहचाना लगता है
बेइंतेहा गुम हो गया हूँ उसकी मोहब्बत में मै ऐसे
की बेगाना अपना और अपना बेगाना लगता है
यहाँ जाम साकी रिन्द और पैमाना सब हाज़िर है
आपके लिए खुशी इनाम जुर्माना सब हाज़िर है
बोलो क्या क्या पेश करू आपकी खिदमत में मैं
आपके लिए प्यास तलब मैखाना सब हाज़िर है
पीकर मैं नशे में रहता हूँ, ताकि तुम्हे भूल जाऊँ
ग़मो को खुशी कहता हूँ, ताकि तुम्हे भूल जाऊँ
कौन सहेगा उसको जो हमने तेरे लिए पाला है
हर दर्द चुपचाप सहता हूँ,ताकि तुम्हे भूल जाऊँ
जुल्फ आंखे होंठ ये सब शराब जैसे नशीले है
साकी रिन्द पैमाना ये सब शराब जैसे रँगीले है
जब से तेरे हाथो का जाम मैंने होंठो से चखा है
समुन्दर सफेद हो गया और, बर्फ सारे नीले है
प्यासा हूँ एक दो बूंद से प्यास नही मिटती मेरी
सागर पी गया फिर भी प्यास नही घटती मेरी
पैमानों और गिलासों का चक्कर छोड़ तो तुम
ये मेरी प्यास है ये इन मैखानो में नही सिमटती
अजनबी कहने भर से ये लगन टूट नही जाएगी
एक बार जो पकड़ लिया, डोर छूट नहीं पायेगी
जो हाथ पकड़ा है तो गले लगा भी लेना उसको
थोड़ा गुस्सा जरूर करेगी पर रूठ नही जाएगी
पैमाने में रहे न रहे ये जाम मैखाने में रहे न रहे
चिराग जलता रहेगा, तू आशियाने में रहे न रहे
ये रिन्दों की महफ़िल है, ऐसे ही चलती रहेगी
चाहे तू रिन्दों के इस घराने में रहे न रहे
जो साथ देखा था फिर से वही ख्वाब देखते है
मोहब्बत में डूबना है चलो कोई चिनाब देखते है
बड़े ही अजीब से हमसफर है आप जनाब
जो मंजिल नही हर कदम का हिसाब देखते है
एक सुबह की उम्मीद में,हज़ारों शाम गुजारी है
सिसक सिसक कर सब राते तेरे नाम गुज़ारी है
कितने दिनों को तेरी यादो में ही भुला दिया है
और न जाने कितनी रातें मैंने गुमनाम गुज़री है
तू जो कहे तो आज खुदा से ये इबादत कर लें
तुम्हे जाम सा चखके थोड़ी सी शरारत कर लें
तुम्हारी तस्वीर सी चाहत तुम्हारी आँखों मे है
गर इज़ाज़त हो तो फिर इसने मोहब्बत कर लें
तमाम उम्र भर जो बनाई ,वो सल्तनत कहां है
जिसपे बढ़ा गुमान था अब वो शोहरत कहाँ है
यूँ खाली हाथ लिए तुम दोजख तक चले आये
तमाम उम्र जो कमाई अब वो दौलत कहाँ है
क्यों लेटे हो चार हाथ की जमीं में सिकुड़ कर
आसमां छूते महलों की अब वो रंगत कहाँ है
तेरी निगाहों ने इस मोहब्बत का भरम बनाये रखा
कई बार टूटा पर दिल ने एक ख्वाब सजाये रखा
सबने बहुत कहा कि इंसां मानना भी छोड़ दूं तुझे
पर दिल ने तुझको खुदा के रुतबे तक उठाये रखा
चले आओ आज रात छत पर की चांद उदास है
एक बार गले लगो लिपट कर की चाँद उदास है
दीदार से इसके रौनक आ जायेगी फिज़ाओ में
मत रखना मुखड़े को ढक कर की चांद उदास है
अब छत पे आ भी जाओ, बस यही गुज़ारिश है
परियो सी जिसकी चाँद भी करता सिफारिश है
ना जाने किससे से मिली आपको ये सुंदरता है
उस खुदा की रहमतों की तुझपे हुई कोई बारिस है
बस नदियाँ नही सागर पे सवारी करने का इरादा है
जो मुश्किल है अब उसी से यारी करने का इरादा है
ये पहाड़ और इनकी उचाईयां बहुत छोटे दिखते है
मेरा तो इनकी चोटियों पे भी दावेदारी का इरादा है
बीत गया है वह वक्त जब तुम मुझको अपना कहती थी
मुझसे बाते करती थी और मेरे ही खयालो में रहती थी
मेरे साये भी तुम्हारे जुल्फो की छाव की दुआ मांगते थे
हवा सा था मैं मेरे साथ साथ खुशबू सी तुम बहती थी
बेशक तुम मेरी न हो पाओ पर किसी और कि मत बनना
ये जहाँ में बेवफाई का जो दौर है उस दौर की मत बनना
बहुत तितलियाँ देखी है हमने अलग अलग फूलों के पास
सब कुछ बनना पर तितलियों के उस तौर की मत बनना
बाग में खिले फूल की हाजिरी उसकी महक लगाती है
तेरे आने की खबर तेरे इस पाजेब की खनक बताती है
शुक्रगुज़ार रहता हूँ हर वक़्त मैं इन बजती हवाओ का
ये जब भी आती है, तुम्हारी बातो की चहक सुनाती है
बेशक तुम मेरी न हो पाओ पर किसी और कि मत बनना
ये जहाँ में बेवफाई का जो दौर है उस दौर की मत बनना
बहुत तितलियाँ देखी है हमने अलग अलग फूलों के पास
सब कुछ बनना पर तितलियों के उस तौर की मत बनना
जो लहजा तुम्हारा है, मैं भी उसी लहजे में नज़र आऊंगा
आंख दिखाई तो आंख, झुकाई तो सजदे में नज़र आऊंगा
मेरा मजाक उड़ा कर सोचते हो कि मैं हिम्मत हार जाऊंगा
गौर से देखो तेरी होशियारी के हर तजुरबे में नजर आऊंगा
तू क्या जाने कितनी रातें काली की है एक एक हर्फ़ के लिए
जो थोड़ा पढोगे तो तुम्हारे ऊपर के दर्जे में नजर आऊंगा
नाकबिलो को काबिलियत दिखाने की फिदरत नही है
मुझे तुमको अपनी हैसियत दिखाने की जरूरत नही है
चाहूँ तो तुम्हारी हर बात का जवाब तुमको दे सकता हूँ
पर गंदे कीचड़ में पत्थर मारने की मेरी आदत नहीं है
अपनी खोखली अमीरी का रुतबा कही और दिखाओ
मेरे इस कश्कोल में ऐसे करकटो की जरूरत नही है
मेरे हाथ के लकीरो में लिखी बखरा-ए-समीन लेंने आया हूँ
मैं तेरे दिल के शहर में बस एक टुकड़ा जमीन लेने आया हूँ
सुना है तमाम शहरी नादानों को ये तो मुफत में मिल रही है
इस उम्मीद में तेरे पास रखे अपना दिले रहीन लेने आया हूँ
ईमानदारी और शराफत निभाते निभाते तो थक गया हूँ मैं
जिसमे सांप पलता है, मैं तुमसे वही आस्तीन लेने आया हूँ
सारे जहाँ के साथ मिलके बस यही एक साजिश किया है
तेरी भी मर्जी थी इसीलिए तुझे पाने की कोशिश किया है
खुदा को मानता नही, पर बात तुम्हे अपना बनाने की थी इसलिए उससे तुम्हारी मोहब्बत की सिफारिश किया है
बारिस की दुआ मांग कर ये सारा जमाना हो चुका था
तुमने जुल्फे जो खोली है तो आज उसने बारिस किया है
किसी नूर से निकली रोशनी का किस्सा लगता है
ये चाँद तुम्हारी बिंदिया का एक हिस्सा लगता हैं
मेरे मौला किससे मांगू हिसाब अपनी बर्बादी का
मौत का फरिश्ता भी मुझे अब मसीहा लगता है
खूशबू रोशनी चांदनी या फिर जन्नत की कोई हूर
हर नाम तेरी अदा का एक छोटा हिस्सा लगता है
बिना इश्क़ फरमाए मैखाने में इनायत भी नही होती
पर इसके सिवा कहीं और मोहब्बत भी नही होती
मेरे खुदा मत पूछना तू अपने काजी साहेब का हाल
बिना जाम पिये तो इनसे तेरी इबादत भी नही होती
कोई दरिया की क्या बिसात जो मेरी प्यास बुझा दे
किसी अम्बर की क्या हैसियत जो मुझको झुका दे
सुना है की तूफान को बहुत गुरूर है अपने होने पर
पर उसमें ताकत नही जो मेरा एक जर्रा भी उड़ा दे
ये आंधिया जो अक्सर तुम्हे दहशत में डाल देती हैं
मज़ाल है क्या जो ये मेरा एक कतरा भी हिला दे
ये तो मुमकिन है कि यहाँ प्यास वो हर किसी की मिटाये
पर जब समुंदर ही प्यासा हो तो अपना गम किसे सुनाए
तमाम उम्र मैंने खजाने की तरह लोगो के घरो को भरा है
पर जब अपना घर भरना हो तो फिर खजाना कहाँ जाए
गैरो की जिन्दगी के सारे सफरनामे तो हमने सुन रखे है
पर कोई तो बताओ हम अपना सफरनामा किसे सुनाएं
ये जो खलास सी है सीने में आप उसे भरो तो सही
जमाने से मेरी खातिर आप भी थोड़ा लड़ो तो सही
मेरा दिल तो क्या मेरी ये जान भी आपके हवाले है
बस एक दिन मुस्कुराकर कोई इशारा करो तो सही
नाकबिलो को काबिलियत दिखाने की फिदरत नही है
मुझे तुमको अपनी हैसियत दिखाने की जरूरत नही है
चाहूँ तो तुम्हारी हर बात का जवाब तुमको दे सकता हूँ
पर गंदे कीचड़ में पत्थर मारने की मेरी आदत नहीं है
अपनी खोखली अमीरी का रुतबा कही और दिखाओ
मेरे इस कश्कोल में ऐसे करकटो की जरूरत नही है
बंजर दिल को भी चाहत की बारिश से भिगोऐं है
सहरा में मोहब्बत के कुछ बीज हमने भी बोये है
हमसे पूछो, आसमां के दामन में है कितने सितारे
आपको क्या मालूम आपतो रातों को बस सोये है
इस शहर की तबाही का मंजर मुझे ना दिखाओ
इस जलजले में हमने भी कुछ अपने खोये है
बस दिल ही दिल में नही मोहब्बत बताना भी जरूरी है
उस जब भी देखो तो देख कर मुस्कुराना भी जरूरी है
कहते हो कि उम्र भर यूँ ही हाथ थाम कर चलोगे मेरा
सिर्फ कहना ही नही,जो कहा वो निभाना भी जरूरी है
मैं तो उम्र भर बस तुम्हारी ही यादों में रहना चाहता था
पर बहार आ गयी है, नए फूल खिलाना भी जरूरी है
यहाँ गली गली में मोहल्ले मोहल्ले मे ये चर्चा सरेआम है
इस शहर की जुबाने सहमी हुई है,कलमें सारी गुलाम है
तू कोसिस भी मत करना अपनी शख्शियत बनाने की
यहाँ तो वही बादशाह है जो गुलामी के लिए बदनाम है
जिसने भी बस चोरी चकारी की उसके नाम के चर्चे है
जिसने ईमान के भरोसे जिंदगी काटी वो गुमनाम है
तुम पागल हो जो कहते हो मैं पराया हूँ मुल्क के लिए
मैं जो मर जाऊ तो देख लेना मेरे रोम रोम में हिंदुस्तान है
मेरे परेसान दिल को कहीं से सुकूँ भरा आराम आ जाये
मैं खामोश रहूँ और तुम्हारी जुबान पे मेरा नाम आ जाये
मैं तेरे आँचल की छांव में लेटा रहूँ तेरा हाथ मेरे सर पे हो
ये खुदा काश मेरे जिंदगी में ऐसी भी कोई शाम आ जाये
तुम्हारा क्या है बस मुस्कुरा कर एक बार मुझे देखना है
शायद तुम्हारा यूँ मुझे देखना,मेरे जीने के काम आ जाये
कुछ ऐसा सुरूर हो कि सारी दुनियादारी खत्म हो जाये
मैखानो के रास्तो वाली सारी दुसवारी खत्म हो जाये
सर भारी बदन में थकावट और दिल मे ढेर सारा गम
थोड़ी शराब पिला दे फिर मेरी ये बीमारी खत्म हो जाये
शाकी मुझे आज अपने आगोश में कुछ ऐसे पिला,कि
तेरे मैखाने से आज रिन्दों की दावेदारी खत्म हो जाये
मंदिर में रहूँ या फिर मस्जिद में रहूँ ये सरेआम ले लेता है
मैं खुदा के सजदे में बैठता हूँ दिल तुम्हारा नाम ले लेता है
तुम्हारे इश्क़ की आदत इस सिगरेट के कश जैसा ही है
दिल को सुकून तो आता है पर कमबख्त जान ले लेता है
मैं तो बहुत खुदगर्ज हूँ,पर अपने इस दिल का क्या करूँ
ये राह चलते किसी से भी प्यार का एहसान ले लेता है
जो भी राज दफन है सीने में, वो खोलने का वक़्त आ गया है
दुश्मनी दोस्ती सबको कसौटी पर तोलने का वक़्त आ गया है
बादशाह की मनमानी पे आखिर कब तक खामोश रहोगे तुम
अब तो अपनी जुबान खोलो की बोलने का वक़्त आ गया है
सिर्फ तुम ही नही थोड़ा मैं भी घायल हूँ
जितना तुम हो मैं भी उतना ही पागल हूं
जिसने कितने ख्वाब सजाए मेरे नाम के
मैं उन्ही ख्वाब भरी आंखों का काजल हूँ
जिसकी एक आहट से दिल धड़कता है
मैं उन्ही पैरो की छनकती सी पायल हूँ
जो बाकी था सब कहने सुनने को वो कहने तो आये हो
किसी और के साथ ही पर मेरे मोहल्ले रहने तो आये हो
मैं किसी साहिल की तरह अपनी वादे पर ही खड़ा रहा
एक पल के लिए ही सही तुम मुझे छूके बहने तो आये हो
हमने तो सोचा था कि अब दीदार मुमकिन नही तुम्हारा
जलाने के लिए ही सही पर अब मुझे दिखने तो आये हो
जो दिल मे बसे हुए है उनको निकाल के तो देखो
गैरो पर डाला अब मुझपे भी डोरे डाल के तो देखो
ये जो बेसुध है ये सारे के सारे होश में आ जाएंगे
बस तुम अपना ये आँचल संभाल के तो देखो
कौन कहता है की आप के कद्रदानों नही है अब
बस एक बार अपना ये दिल उछाल के तो देखो
रोशनी का तुम भी नया नया घर तो देखो
जिसमें चांद उतर आये वो नज़र तो देखो
जो तुम नही थी तो यहाँ मकाँ ही मकाँ थे
तुम आये हो,अब कोई मेरा शहर तो देखो
इन नज़रो की तीर कब तक चलाओगी
यहाँ दीवानो में इसका मचा कहर तो देखो
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