पहले सा इश्क़

जैसा पहले था आज भी मुझ  पर तेरा वैसा ही सुरूर है
तू किसी और की है पर तुझसे इश्क़ आज भी भरपूर है

जब भी आंखे बंद करता हूँ, सिर्फ तू ही दिखाई देती है
फिर कौन कमबख्त कहता  है कि तू मुझसे बहुत दूर है

मुझे कुछ तो कहना चाहती है तू  पर कह नही पाती है
मैं जनता हूँ तेरी बेबसी, तेरी मांग में दूसरे का सिंदूर है

इसमे जब चाहो आ जाना, और जब चाहो चली जाना
मेरी छोटी सी जिंदगी में  तेरा हर फैसला मुझे मंजूर है

लबो पर खामोशी है जब तू मुझको सुनने को आई है
जो चाहे वो कह भी न पाए ये दिल कितना मजबूर है


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