हमको भी यही बीमारी है

जब से उसे छत पे देखा है छाई एक खुमारी है
कमबख्त नींद  काम आती है, सिर भी भारी है

अब हमसे क्या  पूछते  हो आप इसका इलाज
हम  क्या  बताएंगे,  हमे भी तो  यही बीमारी है

जिस दिन तुम आये थे  सज सवंर कर मेरे घर
बस  उसी  दिन  से ये शनि भी हम पर भारी है

आपकी मोहब्बत है,  या किसी दिए कि रोशनी
यहाँ हर आने जाने वाले कि इसपर दावेदारी है

ये हो होंठो के ऊपर  छोटा सा  तिल है आपके
लगता है मैखाने के बाहर खुदा की पहरेदारी है

रोम रोम इस बदन का गुलों  के रस से तारी है
ये हुस्न तुम्हारा है  या  फरवरी की फुलवारी है

जिसने जितनी ऊंची बोली लगाई ये वही हो ली
तुम्हारी ये मोहब्बत भी तुम्हारी तरह  बाज़ारी है

ये चर्चा में है पर वजहें शोहरत इसका हुनर नही
इसपे हाथ है उसका,इसकी शोहरत सरकारी है

तू हौरान ना  होना गर इसकी जुबाँ खामोश रहे
इसकी कलम  बिकी हुई है, ये  कवि दरबारी है

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