रुतबा

अपने  मेयार और  अपने रुतबे से नीचे कहाँ आएगा
शेर भूखा  कितना  भी हो  पर घास तो  नही खायेगा

जो वो सोया है तो सोने  दे उंगली मत करना  उसको
वरना वो एक छलांग मारेगा और सबको खा जाएगा

ये भौकने वालो से कहो जितना  चाहे उतना भौक लें
पर जब वो दहाडेगा तो जंगल  मे सन्नाटा छा जाएगा

हमे गिराने की  साजिश  करने  वालो से पूछो जाकर
हमारे कद को जो  नाप सके वो  खाई कौन बनाएगा

दिनरात ख्वाब  देखते हो मेरी  शख्शियत मिटाने की
अरे दरिया की क्या  बिसात  जो सूरज को बुझायेगा

एक शिकारी  पे शिकार का  क्या  इल्ज़ाम लगाएगा
मैं पहले ही  बुरा हूँ मुझे और कितना  बुरा  बताएगा


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