जमीर को ग़वारा नही

कोई दरिया  नही  होगी  तेरी  कोई किनारा नही होगा
दूसरों को बेघर करने वाले तेरा कोई सहारा नही होगा।

तुम  बेशक  अपने  सारे  किलो में आशियाना बना लो
पर सुनलो जिसका घर नही वो भी बेसहारा नही होगा।

मेयार से नीचे जवाब आकर देने का अंदाज नही मेरा
मैं ठान  भी  लूं तो ये  मेरे जमीर को गवारा नही होगा।

बेशक  मेरे दामन  पर  कुछ  छींटे  तो  तुमने उड़ाए है
पर मेरी बदनामी से मेरा  ये  रुतबा तुम्हारा नही होगा।

बहुत गुरूर है तुम्हे  अपने  इस कशकोली  ओहदे का
एक बार जो टकराये तो तुमसा कोई बेचारा नही होगा।

कभी इसकी तो कभी उसकी,चुगलियां लगाते फिरते हो
ऐसी हरकतों  से यहाँ तुम्हारा कोई गुज़ारा नही होगा।


Comments

Popular Posts