मुझे जरूरत नहीं
कौन कहता है कि मुझे उनसे मोहब्बत नही है
बस मुझे किसी को बताने की जरूरत नही है
हसीनाओ से कहो जो आना है तो खुद आये
मैं उन्हें देखने जाऊँ मुझे इतनी फुरसत नही है
जब भी मिलते हो लेने देने की बाते करते हो
ये तो मोहब्बत है साहब कोई तिज़ारत नही है
तुम बेधड़क आया करो गली में मिलने मुझसे
तुम्हे कोई रोक ले इतनी किसी मे जुर्रत नही है
मेरे तुम्हारे नाम के चर्चो से तू परेसान ना होना
ये तो इश्क़ का तोहफा है कोई तोहमत नही है
इसमें नफा नुकसान की भी परवाह करता रहूँ
ऐसे मोहब्बत करने की हमे कोई आदत नही है
जो आये थे दिल मे तो अपनी मर्जी से आये थे
सब यहाँ से जाने की तुमको इज़ाज़त नही है
जब से तुमने महफ़िल में नज़र भर के देखा है
यहाँ मौजूद किसी का भी दिल सलामत नही है
तुम कहती हो मुझसे की उस खुदा से डरा करो
जाओ उनसे कहा दो हमे उनकी बहसत नही है
Comments
Post a Comment