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Showing posts from May, 2022

भरम रखा जाए

मुझे जरूरत नहीं

मेरा हाथ पकड़ के चलने वाला अब कलन्दर बन गया है

नीलाम

हमको भी यही बीमारी है

बसेरा भी था

जरूरी तो नही

ना आसमान में लगेगा न जमीं पर लगेगा

जमीर को ग़वारा नही

मोहब्बत में कुछ नही बचता है

मुमकिन है भरम मिल जाये

आंखे

खबर नहीं

रुतबा

कुछ खाली वक़्त

बादल पर पाँव

मुमकिन है

तलाश मे

दोस्तो ने मार दिया

मोहब्बत में आदमीं बेकार हो जाता है

तुम्हे पाने की जिद

एक तरफा मोहब्बत

अफसाना छोड़ आये

क्या धारदार है

आओ कुछ तो बात करते है

पहले सा इश्क़

नज़रो के वार