तस्वीर में दिख रही रोशनियां दीवाली पर दीपको की नही बल्कि श्मशान घाट पर जल रही चिताओ की है मुबारक हो मोदी जी 2017 के चुनावों में आपका किया हुआ वादा पूरा होने की कगार पर है, और ये आपका अकेला एक ऐसा वादा है जो अब पूरा होने की कगार पर है। अब हर गांव को श्मशान और कब्रिस्तान बना दिया गया है

तस्वीर में दिख रही रोशनियां दीवाली पर दीपको की नही बल्कि श्मशान घाट पर जल रही चिताओ की है मुबारक हो मोदी जी 2017 के चुनावों में आपका किया हुआ वादा पूरा होने की कगार पर है, और ये आपका अकेला एक ऐसा वादा है जो अब पूरा होने की कगार पर है। अब हर गांव को श्मशान और कब्रिस्तान बना दिया गया है। 


मोदी जी ने 2017 विधानसभा चुनावों में जनता से एक वादा किया था कि हर गांव में कब्रिस्तान और हर गांव में श्मशान होना चाहिए । अब हर गांव में कब्रिस्तान और श्मशान तो ना हो करके हर गांव और हर शहर कब्रिस्तान और श्मशान जरूर बन चुका है । लखनऊ के बैकुंठ पूरी श्मशान घाट की तस्वीरें कुछ ऐसी आई की देख कर के पूरा कलेजा से सिहर गया। कूप्रबंधन लापरवाही लालच और ढोंग का इससे बड़ा और इससे सटीक उदाहरण पूरे विश्व में कहीं नहीं देखने को मिल सकता है। जहां पर गृह मंत्री देश का, देश का प्रधानमंत्री और कई सुबह के बड़े-बड़े मान्यवर मुख्यमंत्री लाखों की संख्या में रैलियां कर रहे हैं और सरेआम कोरोना वायरस आज पूरे देश में बटवा रहे है। 

कई प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को अपने प्रदेश की चिंता छोड़कर बंगाल में भाजपा की सरकार बनवाने के लिए अथक प्रयत्न करते हुए देखा जा सकता है ।इन माननीयों को थोड़ी सी भी लज्जा और शर्म नहीं है ,कि इन्हें जो काम और जिम्मेदारी दी गई है, यह उन को पूरा करें । न कि अपनी पार्टी  की सरकार बनाते फिरे । जहां तक बात करें मोदी जी और अमित शाह की तो 2014 के बाद से यह दोनों लगाता इलेक्शन मूड में ही है ।एक दिन और एक पल भी ऐसा नहीं बीता जब इन लोगों ने चुनाव के लिए कोई रणनीति ना बनाई । या किसी हालत में चुनाव के लिए फायदा ने खोजा। चाहे वह पुलवामा के शहीदों की हत्या का मामला हो चाहे ऊरी हो या पठानकोट में सेना पर हमला, हर जगह पर इन लोगों ने सिर्फ और सिर्फ वोट की राजनीति की है। 

और आज जब इतनी भीषण और भयानक स्थिति देश में रह है तो देश की चिंता छोड़ प्रधानमंत्री लफंगों की स्टाइल में बंगाल की मुख्यमंत्री को दीदी ओ दीदी करकर छेड़ते हुए नजर आ रहे हैं। तो देश के गृहमंत्री लाखो लाख की संख्या में लोगो की रैली कर रहे है। इशारा साफ है जनसंख्या कम हो। लोगो की सोचने समझने की शक्ति खतम हो जाय। लोग सिर्फ जिंदा रहने को ही एहसान समझे और भाजपाइयों की हरकतों को प्रकृति का वरदान मान कर उसे सहे। 

आज देश में कोरोना वायरस से जो स्थिति हुई है उसके लिए हम गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से किसी तरह की उम्मीद ना करें तो ही बेहतर है ।इन लोगों से किसी भी तरह की उम्मीद करना अपने आप से बेमानी होगी। और इसके जिम्मेदार भी हम भारत के वासी ही हैं। जब हमने वोट मंदिर और मस्जिद के नाम पर दिया था तो हमें अस्पताल है स्कूल की उम्मीद ही नहीं करनी चाहिए। और वैसे भी जब इन एक सालों में कोरोना वायरस से चीजें बदल गई उस समय भी हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत पूरे भारत सरकार ने इन एक सालों में इस हालात से निपटने के लिए कोई भी तैयारी करने की जगह पर मंदिर मस्जिद और चुनावी तैयारी में अपना पूरा समय व्यतीत किया है।जिसके लिए शायद देश की जनता ने इन लोगों को चुना था। 

अब जब देश के लोग मर रहे हैं सरेआम सड़कों पर लोगों की लाशें टिकी हुई है । श्मशानों में और कब्रिस्तानो में लाशों का अंतिम क्रिया कर्म के लिए लाइन लगी हुई है। उस समय इन लोगों से स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति कोई भी उम्मीद करना अपने आप में एक बहुत बड़ी बेईमानी है। 

उत्तर प्रदेश के माननीय आधे समय चुनाव प्रचार कर रहे है और बचे हुए समय मे सत्संग सुना रहे है। अभी कुछ दिन पहले ही डब्ल्यू एच ओ के द्वारा तारीफ करने का दावा करने वाले सुबे के मुख्यमंत्री को अब बोलने में सोचना पड़ रहा है। पूरे देश में सबसे बुरी स्थिति उत्तर प्रदेश की है जब स्वास्थ्य के नाम पर सिर्फ मौत बांटी जा रही है। 

को कोरोना वायरस संक्रमण के एक दिन में अब तक के सर्वाधिक करीब दो लाख नये मामले सामने आए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बुधवार के आंकड़ों के मुताबिक, संक्रमण के कुल मामले अब 1,38,73,825 हो गए हैं जबकि 13 लाख से अधिक लोग अब भी संक्रमण की चपेट में हैं।
मंत्रालय के सुबह आठ बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, बीते 24 घंटे में 1,027 लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या 1,72,085 हो गई है जो 18 अक्टूबर, 2020 के बाद सबसे ज्यादा है।

अगर पूरे देश की बात की जाए तो महाराष्ट्र के बाद कोरोना के रोज बढ़ रहे मामलों में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन कोरोना के कंफर्म हो रहे केसों की संख्या भी पिछले 1 सप्ताह में 204 प्रतिशत तक बढ़ी है। लखनऊ में भी प्रतिदिन के केस में भी सप्ताह भर में 350 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई है। रिकवरी रेट के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह मार्च के अंतिम सप्ताह के 98 प्रतिशत से घटकर इस वक्त 85 प्रतिशत रह गया है।

अभी तक प्रदेश में कुल 7 लाख 23 हजार 582 पॉजिटिव केस रिपोर्ट हो चुके हैं। वहीं 9309 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मंगलवार को एक दिन में 18 हजार 21 नए मरीज सामने आए, जबकि 85 लोग कोरोना से लड़ाई में जिंदगी की जंग हार गए। प्रदेश में इस वक्त सक्रिय मरीजों की संख्या 96 हजार के आंकड़े के करीब पहुंच गई है। आज तक 6 लाख 18 हजार 293 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है।

राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश की मेडिकल फैसिलिटी भी चरमरा गई है। बेड और टेस्टिंग फैसिलिटी की कमी राज्य के कोविड मैनेजमेंट के लिए चुनौती बनी हुई है। उत्तर प्रदेश में हालात कैसे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के कानून मंत्री बृजेश पाठक को राजधानी लखनऊ में मेडिकल सुविधाओं की हालत को लेकर पत्र लिखना पड़ा है।

प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में मंत्री पाठक ने लखनऊ में के अस्पतालों में बेड की कमी से लेकर एंबुलेंस की सुविधा पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने पत्र में पद्मश्री विजेता इतिहासकार योगेश प्रवीन की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि एंबुलेंस उपलब्ध होने में 5 से 6 घंटे तक लग जा रहे हैं। जबकि टेस्ट रिपोर्ट भी हफ्ते भर में आ पा रहे हैं।


इतनी भयानक और भीभत्स हालात के बाद भी सिर्फ बयानबाजियों और चोंचलों का सहारा लेकर हर बात को छुपाने में लोग लगे हुए है। अब इस स्थिति का मालिक सिर्फ ऊपर वाला है । सब कुछ राम भरोसे ही बचा है। 




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