वो लड़की
मुस्कुराते हुए जा रही है ये लड़की मुझे झूठी लगती है
तबियत से थोड़ी ख़ुशरंग तो थोड़ी सी रूठी लगती है
बड़े बरसाती है इसके नखरे जो पल पल हमे सताते है
आंखे इसकी जैसे सूरज से कोई रोशनी टूटी लगती है
जुल्फे नागिन सी काली तो होंठ फूलों से नजर आते है
चेहरे की हँसी ऐसी की लालिमा कोई फूटी लगती है
सोचना उसको हमारी फिदरत में शुमार हो चुका है अब
उसे याद करके हँसना रोना अब मेरी ड्यूटी लगती है
गिरगिट सा बदल जाता है इसके प्यार करने का सलीका
चेहरा चाँद का टुकड़ा तो दिल की काली कलूटी लगती है
गर्दन सुराही तो कमर पिंडर की घाटियां सी लगती है
आंखे एक खंजर तो बातें नशे की कोई बूटी लगती है
यूँ सरेआम राहों में चलना कत्लेआम मचा देता है यहाँ
तेरी अदा पे मरने की कहानिया बड़ी अनूठी लगती है
चेहरे पर एक मुस्कान तो आंखों में उदासी नज़र आती है
वो हुस्न से लबालब है पर मोहब्बत से सूखी लगती है
हर निशानी सौंप रखी है उसने इश्क़ में हमारे पास
यादें उसकी गले की हार हाँथो की अंगूठी लगती है
मजझार में पहुँच कर डरा रही है ये ऊंची ऊंची लहरें
जिंदगी पार करने की कश्ती अब टूटी फूटी लगती है
एक पल तोला जो तो एक पल में मासा बनती हो तुम
गुस्सा तेरा खौलता लावा तो हँसी बर्फीली उंटी लगती है
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