साहिल
तुझसे वफ़ा निभाना मेरे लिए तो थोड़ा मुश्किल है
तू खुद ही सोच इसके लिए तू कितना काबिल है
चर्चे तो इसके सरेआम है अब हमारे सारे शहर में
की एक नही दो चार रकीबों के पास तेरा दिल है
क्या बताऊँ कितनो से अफसाने सुने है तुम्हारे
ऐसे रकीबो की तो यहां खड़ी पूरी महफ़िल है
तुम्हारी जैसी आंखे गर्दन मुस्कुराहट तो बहुत देखी
पर जिसने पागल बनाया वो तेरे होंठो का तिल है
सुनो ऐसे मत फैलाओ किस्से अपनी दिल्लगी के
मैं जानता हूँ ये मोहब्बत तुम्हारी कितनी तंगदिल है
मत सुलझाओ धागे ये खुद उलझ जाओगे इसमें
ये इश्क़ का मसला है बाबू कुछ ज्यादा ही जटिल है
मेरे साथ सारी उम्र चलने का वादा किया था तुमने
ये बीच सफर में ही थक गए अभी तो दूर मंजिल है
बहुत थक गए होंगे तुम मेरे कातिल को खोजने में
अब तो बस यही कह दो की हमी हमारे कातिल है
चंद मिसरे सुना मुझको बहलाना चाहते हो तुम
ये शेरो शायरी की फनकरियां मेरी संगदिल है
आज आये हो वो जगह लेने जिसे छोड़ कर गए थे
तब तुम थे दिल मे आज इसमे कोई और दाखिल है
किस्से सुन रखे थे जो वो सारे अफसाने निकले
तेरी शख्शियत में झूठ और फरेब दोनो वासिल है
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