ढोंगी

वोट दिया जब मंदिर मस्जिद पर
वो हॉस्पिटल कहा से बनवायेगा
मत जलाओ चिताओ को तुम यहाँ
वो उनसे अपना आंगन सजायेगा
तुमने धर्म और जाति मांगी उससे 
वो ऑक्सीजन कहा से दिलाएगा
लाशें पड़ी रहेंगी सड़को पर तुम्हारी
वो मंच समझ उन पर चढ़ जाएगा
कब्रिस्तान के पत्थरों को कब्र से उठा
वो तुम्हारी आवाज उसमे चुनवायेगा
तुम मरते तड़पते बिलखते रहे होंगे
तो तुम्हारी लाशो को भाषण सुनाएगा
उम्मीद यह उस वक़्त रहेगी उसकी
मुर्दो में से कोई वोट देने भी आएगा
गांव में शमशान की बातें करने वाला
वो अब घर घर एक श्मशान बनाएगा
धरम करम का पाखंड करने वाला
हॉस्पिटलों में डॉक्टर कहा से लाएगा
तुम  उससे स्कूल हॉस्पिटल माँगोंगे
वो तुमको रैलियों की भीड़ बनाएगा
तुम पहुँच रहे होंगे श्मशान घाटों में
वो अपनी जीत का जश्न मनाएगा
खुदा बनने के सपने को पूरा करने में
वो श्मशानों का भी मशीहा बन जायेगा
शहंशाह बनने के लिए वो ऐसा दिन लाएगा
शमशान घाट के मुर्दो से भी वोट डलवायेगा
बहकाकर तुम्हे मंदिर मस्जिद के सपनो में
वो फकीर वाली अपनी झोली भरवायेगा
तुम अपनो को पल पल मरते देखोगे
वो उनकी लाशो पर चढ़ मुस्कुराएगा

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