हाथो में शराब
नज़रो से बर्बाद करने की तरकीब उसकी बड़ी नायाब थी
मेरी नज़रो पर उनकी नज़रे थी और हाथो में शराब थी
हमारे शराबी होने की सिर्फ तुम अकेली वजह तो नही है
कुछ तेरी नज़रो का कसूर था,कुछ मेरी आदतें खराब थी
तब दिल्लगी का दौर था और आवारगियाँ बेहिसाब थी
शाकी थी जाम था मैखाना था और हाथो मे शराब थी
खुद को संभालने की कोशिश तो बहुत किया था हमने
पर मैखाने की रात चांदनी थी,और शाकीयां बेहिजाब थी
कदम कदम पर मेरे अपनो ने भी था सम्भाला मुझको
पर ये मेरी आदतें आज भी बर्बाद है तब भी बर्बाद थी
दिल्लगी आशिकी इश्कबाजी और जाने क्या क्या किया
पर बिना जाम के मंजर सूने थे और धड़कने नाशाद थी
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