हिंदुस्तान

कलम उठाकर तुम मेरी जान लिख देना
एलान ए मोहब्बत ये सरेआम लिख देना
किसी से छुपने छुपाने की जरूरत ही नही है
मैं मोहब्बत बोलूंगा तुम हिंदुस्तान लिख देना

औरो के संग बांटने की तो गुंजाइश ही नही है
शहादत के सारे लम्हे तुम मेरे नाम लिख देना

जो जोड़े रखे मुझको इस मिट्टी के साथ
हाथों में मेरे वो सारे काम लिख देना देना

किसी और तमगों की तो जरूरत ही नही है
सिर्फ वतनपरस्ती ही मेरा ईमान लिख देना 

कुछ फांसी झूल गए तो कुछ लहूलुहान पड़े है
वतन के मतवालों का यही अंजाम लिख देना

वतनपरस्ती का कोई एक मौका मुझे भी मिले
मेरे खुदा मेरी नसीब में ये एहसान लिख देना

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