बवाल
इश्क़ में हीर रांझा सा वो कमाल नही कर पाए
उसकी जफ़ा पर हम भी सवाल नही कर पाए
सुना था की मोहब्बत बड़ी बावलिया होती है
ये तो हम थे जो इश्क़ में बवाल नही कर पाए
सौ बाते करनी थी उससे फिर भी चुप ही रहा
नम्बर सेव था उसका पर काल कर नही पाए
बड़े जतन से मैंने दिल की अमानत उसे दिया
पर ग़ाफ़िल उसकी भी संभाल कर नही पाए
किस्से बड़े सुने थे तेरी बेवफाई की मैंने सबसे
मासूमियत में उनकी भी पड़ताल कर नही पाए
मेरा सब कुछ तबाह करके गैर के हो गए वो
और हम उनकी जिंदगी पामाल कर नही पाए
लहजा दिखा रहा है तुम्हारी नई अमीरी को
गुरूर में तुम अदब का ख्याल कर नही पाए
हम मतला ऐ शानी थे तेरी ग़जल की शेर के
आप बस काफिये का इंतज़ाम कर नही पाए
मोहब्बत के फरिश्ते आये भी और लौट गए
जाने क्यों तेरी रूह को अमाल कर नही पाए
बहुत मुलाज़िम रखे थे हमने दिल बहलाने को
आप आये फिर किसी को बहाल कर नही पाये
इश्क़ विश्क के सारे रोग हमने उसे भी लगाए
सिर्फ उसे अपने बराबर बेहाल कर नही पाए
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