छलावा

सुना है तुम्हारी आँखों मे बहुत छलावा है साहब
बताओ ये आंशू सच है या फिर दिखावा है साहब

सिर्फ आप तक आके ख़त्म नही होती मेरी राहें
बाहर बहुत सी दुनिया आपके अलावा है साहब

अभी लेते जाओ आगे और तोहफे मिलेंगे तुम्हे
ये दिल तो सिर्फ मुस्कुराने का चढ़ावा है साहब

कोई दुआ नही जो जिसे चाहो उसे दे दोगे तुम
ये मोहब्बत है इसपर सिर्फ मेरा दावा है साहब

दर्द को मिटाया तो नही इसे बढ़ा दिया है आपने 
जख्मो को हरा करने का कैसा मुदावा है साहब

जिसे चाहा डूबा दिया जिसे चाहा उबार लिया
तुम्हारी नज़रो का जाने कैसा बढ़ावा है साहब

अभी सिर्फ  एक दो  बूंद से  ही आप घबरा गए
सीने में कैद शिकायतों का पूरा लावा है साहब

अब तो बेपर्दा हो गई है आपकी सारी शख्सियत
हया और लिहाज का ये कैसा पहनावा है साहब

पास आना चाहते हो हमारे तुम नही आ पाओगे
हाथों में हमारे बंधा हुआ एक कलावा है साहब

खामोश हूँ तो मत सोचो की आपसे गिला नही
ये खामोशी तो तूफानो इसका इशारा है साहब

बहुत ख़्वाब दिखाए आपने इन दोनो आंखों को
आपके जाने से ये सारे ख्वाब बेसहारा है साहब

ये जो शोहरत कमाई है तुमने कलमकारी बनके
इसके मिसरों का ये अंदाज तो हमारा है साहब 








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