मेरी इच्छा
नही चाहता मैं की ललनाओं का हार बनूँ
नही चाहता मैं नई दुल्हन का श्रृंगार बनूँ
एक ही ख्वाहिश है मेरी ईश्वर बस तुझसे
फिर जन्म मिले तो देश का पहरेदार बनूँ
प्राण न्यौछावर करने वाले क्षण आये जब
स्वर्णिम उस क्षण का मैं भी हिस्सेदार बनूँ
तमन्ना पाली यही है केवल इस जीवन मे
तेरी मिट्टी में शहीद एक नही सौ बार बनूँ
वतन मेरे तेरी अस्मत पर जान लुटाया है
महके जिससे तेरी फ़िज़ा मैं वो बहार बनूँ
सोए है मेरे सारे पूर्वज जिसको ओढ़कर
तेरी उस मिट्टी का मैं भी तो हकदार बनूँ
बिखर जाउ तेरी इन्ही हवाओ में मर कर
बलिदानी किस्सों का हिस्सा एकबार बनूँ
कुर्बानी की खुशबू फैलाऊँ इस फिजा में
शहीदी वाले फूलों की महक जोरदार बनूँ
वीरता की रीत निभा बस दुआ यही मांगी है
शेर गर्जना वाले वीरो की मैं भी ललकार बनूँ
रोशनी बन के बिखर जाऊ सभी दिशाओं में
इस मिट्टी के जर्रे जर्रे को मैं भी गुलज़ार करू
जो बन न सका तेरी ललाट का तिलक तो
शहीदों के पैरों का सुंदर सा एक पैजार बनूँ
जिनके पानी पीकर बचपन हमने सवारा है
है तमन्ना की उन नदियों की बहती धार बनूँ
रीत बना जिसे मनाए वीरो की टोली हरदम
शहीदी का कुर्बानी का मैं भी वो त्योहार बनूँ
जिस पथ पर पड़े हो कदम वीर शहीदों के
बस उस पथ पर पुष्पो का एक अंबार बनूँ
चाह नही की गोरी की गर्दन का एक हार बनूँ
जो शीश काटे शत्रु की मैं वो बस तलवार बनूँ
एक भारतीय हूँ मैं बस भारत का गुणगान करूँ
जीते जी तो कीर्ति गाऊँ मरने पर भी बखान करूँ
Comments
Post a Comment