शहीदी
गोली खा खा के लाज मिट्टी की बचाई है
बलिदानी ये रीत हमने आज भी निभाई है
सर कटा दिया हमने जान इसपे लुटाई है
तब जाकर माथे पर जीत की तिलक लगाई है
वतना वे अब मुझको चलना होगा
इस माटी पर मुझको मरना होगा
जो सजाया गुलशिता हमने
उनमें फूल बनके खिलना होगा
वतना वे अब मुझको चलना होगा
बाग बगीचों के वो खेल याद हमे आएंगे
छोड़ इस मिट्टी कि खुशबू हम तो जाएंगे
झूम जहाँ बचपन बीता,खेलो को खेला था
खेतो की वो हरियाली अब वापस ना पाएंगे
सबकी आंखों का तारा बन इन तारो में पलना होगा
वतना वे अब मुझको चलना होगा
इस माटी पर मुझको मरना होगा
मेरे गाँव की मस्त हवा का झोंका मैं छोड़ चला
यारो की टोली को भी अलविदा मैं बोल चला
बांधी थी वादों की जो डोरी मैंने ख्वाबो में
दिलबर के संग मैं वो वादे सारे तोड़ चला
माई तेरी गोद का सुकून छोड़ अब यादों में ढलना होगा
वतना वे अब मुझको चलना होगा
इस माटी पर मुझको मरना होगा
तेरी मेरी खट्टी मीठी बाते रह जाएंगी
जहन में तेरे बस मेरी यादे रह जाएंगी
तेरे साथ मिलकर जो बरस न पायी
हमारे इश्क़ की वो बरसाते रह जाएंगी
हो जीत मुबारक तुम्हे मुझे गहरी नींद में अब सनना होगा
वतना वे अब मुझको चलना होगा
इस माटी पर मुझको मरना होगा
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