सितारे

यूँ बे हिजाबाना सामने आए तो सारे नजारे बेहाल हो जाएंगे
शरमा कर जो  नज़रे झुकाई तो ये  सितारे बेहाल हो जाएंगे
बस ये इल्तेज़ा है तूमसे छत पर न आना चांदनी रात में
चाँद के साये में जो तुमको देखा तो कँवारे बेहाल हो जाएंगे

जाम से भरी चौधवीं रात में न निकला करो ऐसे हालात में
आसमां में टिमटिमाते  चंदा और  तारे बेहाल हो जाएंगे

लिखने जो बैठा तुम्हारे हुस्न के कसीदे किसी कागज पर
हूरों की खूबसूरती के सारे इस्तिआरे बेहाल हो जायंगे

मत देखना अपनी आंखे उठा कर यूँ आसमान की तरफ
इन नज़रो की चमक से बर्क के सारे शरारे बेहाल हो जाएंगे


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