माँ की दुआ

बचपने में चैन से सुलाया अब रियायत हो जाती है
मुसीबत में माँ की लोरी कुरानी आयत हो जाती है

ऊपर आने वाली सारी मुसीबते बेबस हो जाती है
माँ सर पर हाथ रख देती है तो रहमत हो जाती है

गरीबी मजलूमी आफत ये सब पास ही नही आते
माँ साथ  है तो वीरानो  मे भी बरकत  हो जाती है

मुश्किल हालातो  में जब कभी भी घिर गया हूँ मैं
माँ आती बस है और खुदा की इनायत हो जाती है

जब वो नही होती है तो सब नामुमकिन दिखता है
पर माँ जब होती है  तो सब सहूलियत हो जाती है

आंखों से आंशू  आये तो सब वीराना हो जाता है
माँ जो हँस दे  सारी दुनिया खूबसूरत हो जाती है

सजदे में बैठकर वो खुदा से  मेरे लिए मांगती है
माँ की दुआओ से बरकतों की नेमत हो जाती है



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