खरीदार
बाजार में आया हर शख्स ख़रीददार हो जरूरी तो नही
दिल में तुम्हारा रुतबा हमेशा बरकरार हो जरूरी तो नही
थोड़ी सी आदत डाल लो इस महफ़िल में रुसवाई की
अब यहाँ में हर कोई तुम्हारा तरफदार हो जरूरी तो नही
जरा सोच समझ कर सौदा करो दिलों के लेन देन का
लुटेरे भी है, हर कोई यहाँ खरीददार हो जरूरी तो नहो
जरा संभल कर चिल्लाओ शीशे का महल है ढह जाएगा
ये इमारत मेरे झोपड़े जैसी नीवंदार हो जरूरी तो नही
आज शितम ढा रहे हो कल का अंजाम भी सोच लेना
अब शहर में हमेशा तुम्हारी सरकार हो जरूरी तो नही
सिर्फ गोरो की नही थोड़ी इज़्ज़त कालो की भी कर लो
हीरे की खान का हर हीरा चमकदार हो जरूरी तो नही
ये खंजरों का दौर है, पीठ बचा कर लड़ो मैदाने जंग में
जिस्म के पार जाने में सिर्फ तलवार हो जरूरी तो नही
कभी किसी जमाने मे मुझे जरा मोहब्बत हुई थी आपसे
अब आपसे वही मोहब्बत बार बार हो जरूरी तो नही
मत गुमान करो अपने हुस्न और अपने इश्क़ पर इतना
एक ही कली से मोहब्बत लगातार हो जरूरी तो नही
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