वो चाँद नही अब तेरा है

रात की आदत डाल यहाँ नही कोई सवेरा है
सारे शहर को खामोशी के वीरानों ने  घेरा है
वह जिसने इस रात में चांदनी को बिखेरा  है
वो      चाँद     नही      अब       तेरा      है

जो तूने  मेरा लूटा जो इश्क़ में मैंने लुटाया है
जिसके हर वार  पर मेरा  दिल  मुस्कुराया है
जो मीर की  सुखन  सा तेरे  मन का लुटेरा है
वो      चाँद      नही      अब       तेरा      है

जिस लड़की  की ये अल्हड़ मस्त जवानी  है
जिसकी  आंखे भी  मोहब्बत सी रूहानी  है
हंसी में जिसके साहिर के गीतों का बसेरा है
वो      चाँद      नही      अब       तेरा     है


सब कुछ खोया पर जिसका प्यार न पाया है
तेरे सारे जिक्रो में जिस  लड़की की छाया है
जिसकी जुल्फो  से छाया ये  बादल घनेरा है
वो      चाँद      नही      अब       तेरा     है

छम्म छम्म पायल  करती जो  पगली आई  है
उसकी आँखे कहती है मुझसे  वो हरजाई  है
क्यो सोचता है उसका प्यार  तो सिर्फ मेरा है
वो      चाँद      नही      अब       तेरा      है

अपने हिस्से  की सांसे  जिसके  नाम  लिखा
जिसके नाम लाखो चिट्ठी सुबह  शाम लिखा
तुम्हारे दिल मे जिसने बसाया अपना डेरा  है
वो      चाँद      नही      अब       तेरा      है

वो जो अक्सर तुम्हारे ख्वाबों को में आती  है
जो नज़रो  से नज़रो  मिलाकर  मुस्कुराती  है
जिसकी यादों ने तुझको  सुबह  शाम घेरा  है
वो      चाँद      नही      अब       तेरा      है

जिसकी आवाज मीठी कोयल की खनक  है
जिसकी अलकों में भी  रातरानी सी महक है
सर्द भरी  रातों में जिसकी आंखें  रैनबसेरा है
वो      चाँद      नही      अब       तेरा      है



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