तेवर

कुछ घर के लोग तो  कुछ ये आबादी  छीन लेती है
बच्चियों की खुशियां अक्सर ये खादी छीन लेती है

मत घूरना  राह चलती किसी के घर की बेटीयो को
तुम्हारी  हरकत उस बेटी की आज़ादी छीन लेती है।

जरूरत जब भी गुज़रती है  पेट  के रास्ते से होकर
फनकारों से  सारी की सारी फनकारी छीन लेती है

जब भी नाकाम हुआ तो गिर कर संभल गया हूँ मैं
माँ की दुआएँ किस्मत  से मेरी बर्बादी छीन लेती है

उसके आँचल के साये में फंदा रख कर सो जाते है
माँ  जल्लादों से भी  उनकी  जल्लादी छीन लेती है

इतना गुरूर करना अच्छा नही, ये किस्मत है बाबू
जब ये पलटती है उस्तादों से उस्तादी छीन लेती है

बड़ी कोसिस की उस खुदा से शिकायत करने की
पर हर बार ये किस्मत,मेरा फरियादी छीन लेती है

जरा सोच समझ  कर  जुल्म ढाओ गरीबो पर तुम
ये गुनाह की लपटें है, रूह से औरादी छीन लेती है

ये मोहब्बत है इसका असर सर चढ़ कर बोलता है
ये शाहों से तख्त ,सय्यादों से सय्यादी छीन लेती है




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