नज़र
मत देखो इन आँखों से दिल मे आग सुलगने को है
पिला दे जाम आखिरी बचा है ये रात गुज़रने को है
न झुकाओ ऐसे नज़रे, आंखों से थोड़ी तो पिलाओ
आँख कह रही है जुबाँ से बोलो शमां बदलने को है
रात चांदनी से भरी है सितारे आसमां में बह रहे है
तेरे नूर की कशिश है जो ये चाँद भी पिघलने को है
रुख से नकाब हटा कर अपनी खिड़की पर आओ
मेरे जश्न का करवा अब तेरी गली से निकलने को है
मेरे दिल तू जरा आहिस्ता धड़क शोर कम होगा
झुकी नज़र में जो बात है वो जुबा से कहने को है
आंखों को थोड़ा नीचे ही रखो इसे ऊपर न उठाओ
इस नज़र की तपिश से तो ये सूरज भी ढलने को है
ना पिला अब और मुझे साकी ये जाम आखिरी है
मदहोश होकर मैखाने में ये तेरा रिन्द संभलने को है
चिलमन में छुपा ले तू चेहरा अपना न दिखा मुझको
तेरी इस मुस्कुराहट पर मेरा ये दिल फिसलने को है
Comments
Post a Comment