मैखाना और जन्नत

आबे जमजम के एक प्याले को पैमाना बना दिया
इन शराबियों ने  जन्नत को भी मैखाना बना दिया
क्या मांगे अपनी सलामती  की दुआ  उस खुदा से
इस जाम ने तो मेरे खुदा को भी मस्ताना बना दिया

शाकी ने मैखाने को इबादत का घराना बना दिया
मुसमान की मस्जिद,हिन्दू का बुतखाना बना दिया

रुतबे में  जाम के कशीदों को  शायराना बना दिया
शैदी का मैखाना तो बच्चन की मधुशाला बना दिया

मैखाने में ये मेरे थे मजहब ने इन्हें बेगाना बना दिया
मंदिर मस्जिद ने इस गुलशन को वीराना बना दिया

मैखाने से निकले तो जमाने ने अफसाना बना दिया
किसी को पुजारी तो किसी को मौलाना बना दिया

शाकी की आंखों ने मुझे अपना निशाना बना दिया
शमा पर जल मरने वाला एक परवाना बना दिया

एक एक घूंट ने मंजर सारा आशिकाना बना दिया
शाकी की आँखों को भी मुसाफिरखाना बना दिया

जो गुज़रा इसके  करीब से उसे  दीवाना बना दिया
मैखाने की इस तलक ने मुझे भी रिंदाना बना दिया

खुद्दारी, नफरत और ताकत ने ये शाना बना दिया
किसी को अकबर किसी को महाराणा बना दिया




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