मैखाना और जाम
जिन लोगो की आंखों में नशा हो जुबां पे हो शाना
जिन मस्तानो का हर वक़्त भरा रहा है पैमाना
मैकदे में जिन रिन्दों का हर वक़्त रहे आना जाना
ऐसे पागल दीवानों के लिए मैंने लिखा है मैखाना। 1
देखो पढ़ कर इसको तुम विचलित न हो जाना
मदहोश हो गया है वो जिसने पढ़ा है मैखाना
रिन्द जाम लिए हाथों में तुम पैरों को थिरकाना
दो घूँट पियो फिर देखो की कैसा लिखा है मैखाना। 2
यही बस एक है शर्त मेरी यही है बस मेरा तराना
एक जज्बात है मेरी ये बस किताब नही है मैखाना
अपनी खुशीयों और गमो का लेकर ताना बाना
अपना कलेजा उतार कागज़ पे लिखा है मैखाना। 3
कोई पढ़ना तब ही जब निभा सको ये करारनामा
जो ना कर पाओ तो जाने के लिए खुला है मैखाना
मेरे इश्क़ मोहब्बत के रंगों का है ये एक खजाना
अपने प्यार भरे जज्बातों से मैंने लिखा है मैखाना। 4
सिर्फ तुम रिन्द आना सुनने मेरा ये सफरनामा
सुन कर इसको तुम जाम पैमाने से छलकाना
रिन्दों तुम सब इसकी शान पर खूब इतराना
देखो इस दुनिया मे तो सबसे बड़ा है मैखाना। 5
जिसका हाथ भर कलेजा हो जो हो एक दीवाना
ऐसे ही मस्तानो ले लिए आज खुला है मैखाना
आंखों में जाम का अक्स है और हाथों पैमाना
चलो साथ मेरे आज वहाँ जहाँ खुला है मैखाना। 6
शाकी है,जाम है, उससे लबालब भरा है पैमाना
मत बुझाओ चिराग को अभी खुला है मैखाना
बात एक पूछता हूँ तुमसे, सच सच बतलाना
ये दुनिया अगर अच्छी तो क्या बुरा है मैखाना। 7
शाकी अपने दिल पर हाथ रख कसम ये खाना
तनहाई भरे हुए अंधेरों से कब डरा है मैखाना
मेरी आंखों में आंखे डाल तुम पिलाती जाना
तुम्हारे जाम के एक एक घूंट में घुला है मैखाना। 8
रात चांदनी है, देखो तो शाकी छलकाती है पैमाना
उसकी पायल की छह छम से गूंज उठा है मैखाना
आज होगा उनकी मस्त निगाहों से मेरा टकराना
झांक रहा है उसकी नज़रो में जहाँ बसा है मैखाना। 9
इबादत का डर इससे अच्छा मुश्किल है बता पाना
पुराने हुए मंदिर मस्जिद,अब देखो नया है मैखाना
रंग है प्यार इसके ,तो शाकी होती है इश्काना
मुसब्बिर ने बड़े प्यार के ढांचे से गढ़ा है मैखाना। 10
वस्ल की रात आयी है शाकी फिर कैसा शर्माना
हया की लाली लेकर तू आज आई है मैखाना
इस पर ना कोई महसूल लगा है न कोई हर्जाना
शाकी तेरी इन आंखों पे मुफ्त बिका है मैखाना। 11
नज़रो से नज़रे मिली तो हमको मिला नजराना
शाकी तुम्हारी इन आंखों में ही बहा है मैखाना
राही तू तो अंजाना है, पगला बिल्कुल दीवाना
मंजिल आयी पास तुम्हारे,देख खड़ा है मैखाना। 12
फरिश्ते जो लेने आये मुझको बात ये तू बतलाना
न जाने कहा मेरी रूह को छुपा बैठा है मैखाना
मेरे इन आखिरी लफ़्ज़ों को तुम भी सुनते जाना
कब्र वही बनाना वही पर जहापे बना है मैखाना। 13
अंतिम राह चला हूँ मैं अब खत्म हुआ सफरनामा
ले चलना उस गली से मुझे जहां खुला हो मैखाना
अब न कोई फकीर बचा है ना ही बचा है सुल्ताना
तुझको मुझको एक नज़र से देख रहा है मैखाना। 14
चले जब आखिरी सांस तो बस घूँट एक पिलाना
सारे के सारे बेगाने है, मेरा एक सगा है मैखाना
नशा इतना इसका की दिल कहे इसमें बस जाना
तभी ये मंदिर मस्जिद छोड़ मैंने चुना है मैखाना। 15
गिलास में जीना है इसको और जाम में मुस्काना
रिन्द के ऐसी ही रश्म रिवाजो से खड़ा है मैखाना
और किसी से मेल नही इसका इसी से है याराना
आसमान के चाँद सितारों से सजा है मैखाना। 16
बहुत ही निराली है यहाँ के रिन्दों की वजे रिंदाना
जाम होंठो पर सजाये हुए अब खुला है मैखाना
इसमें तो कोई शर्म ही नही ना इनमें कोई घबराना
पैमाने जाम से भरा है, गुल सा खिला है मैखाना। 17
शहरे ख़ामोशा है, बंजारे रिन्दों का मुसाफिरखाना
यहां ये जाम है और सब कब्रो पे लिखा है मैखाना
शराबी के घर से निकलते ही उड़ता है अफसाना
लाख - लाख रुसवाईयों के बाद मिला है मैखाना। 18
लाग है ऐसी इसकी जैसे शमा पे मरता है परवाना
परवाने रिन्दों की ऐसी मोहब्बत से बना है मैखाना
सबकी सुनी सुनाई सुनके दिल को मत बहलाना
पियोगे तब जानोगे की कितना भला है मैखाना। 19
पता सभी से पूछ पूछ कर थक गया है दीवाना
ऐ मेरे खुदा अब तो तू ही बताएगा कहां है मैखाना
चलता है इस राह पे लड़खड़ाते कदमो से मस्ताना
प्यासी आंखों को सदियों के बाद दिखा है मैखाना। 20
डगमग डगमग राहो पे रहा भटकता है ये अंजाना
कोई राह दिखाओ इसको वो खड़ा जहाँ है मैखाना
मैकदे के सुरूर में मदमस्त मुसाफिर ने है ये ठाना
बैठा रहेगा तब तक की जब तक खुला है मैखाना। 21
जाम जो शीशे में है अब शुरू हो गया है अंगड़ाना
रिन्दों की महफ़िल में गुल खिला रहा है मैखाना
ढूँढ रहा है अपनी मंजिल वो कोई उसको बतलाना
मंजिल छोड़ गई है उसे अब साथ खड़ा है मैखाना। 22
नशा तो अपना हमदम है,मत समझना इसे बेगाना
गर रात है ये सारा जमाना तो नई सुबह है मैखाना
रमजान दीवाली मनाते है इसमें रिन्द यहाँ रोजाना
हिन्दू मुस्लिम सबकी खुशियाँ बसाती है मैखाना। 23
मुश्किल है इसके जितने ऊंचे वाले रुतबे को पाना
मंदिर मस्जिद नही बड़े,इन सब से बड़ा है मैखाना
कयामत का मंजर भी देखो आंखों से देखते जाना
उजड़ गए है सारे मंदिर मस्जिद, बचा है मैखाना। 24
मरूं जब भी मैं मेरे इन होंठो पर सिर्फ रहे पैमाना
आंखे बंद हुई है मेरी तब साथ सो रहा है मैखाना
बस यही सच्चा साथी है, सच्चा इसका दोस्ताना
साथ छोड़ दिया सबने, बस साथ चला है मैखाना। 25
रिन्दों की ये पहचान ये है यही तो है इनका घराना
इन मस्तानो के रग रग में इनके बह रहा है मैखाना
शाकी ने बहुत ही प्यार से दिया हमको ये नजराना
दुनिया के हर कोने तक देखो फैला है मैखाना। 26
जन्नत की हूरो का भी कही न होगा ऐसा इठलाना
देखो जैसे मेरी इन आंखों में इठला रहा है मैखाना
साकी तू प्यासे इस राही की प्यास जरा मिटलाना
इन रिन्दों के लिए तो दरिया से भी बड़ा है मैखाना। 27
हाथों में जाम लिए हो तो ये मुश्किल है कहपाना
की यहाँ शाकी बड़ी है सबसे या बड़ा है मैखाना
सुरूर जब बढ़ जाये तो तुम साथ लिए चले जाना
पी लेना इसको फिर कहना की भला है मैखाना। 28
देखो मेरे इन होंठो को तलाशता फिर रहा पैमाना
शाकी भी मेरे साथ खड़ी है दिख रहा है मैखाना
तू मेरा काम बस शाकी इतना सा ही कर जाना
ले चल मुझको उस शहर में जहाँ बना है मैखाना। 29
सबकी आंखों की नही देख तू कानों की न सुनाना
बस मान ले तू इतना की सच कह रहा है मैखाना
इसकी सारी बाते अल्लाह सी है उन्हें ना झुठलाना
पाक साफ जितना मंदिर मस्जिद सा है मैखाना। 30
उस रब की रुबाई है इसमें, मेरे खुदा का फरमाना
सुनो ऊपरवाला कह रहा है एक शफा है मैखाना
अमन सुकून देने के बदले इसने भरा है हर्जाना
और काफ़ीरो की बदनीयती से लड़ा है मैखाना। 31
मेरी हर ख्वाहिश है इसमें, ये मेरा हर करारनामा
कतरा कतरा मेरे लहू के साथ हा बहा है मैखाना
ये बस करम है उस खुदा का है उसका शुकराना
जहाँ बंद है ये दुनिया सारी और खुला है मैखाना। 32
मेरे खुदा क़यामत के दिन बस करना ये कारनामा
दोजख के भी हर कोने कोने में खुला रहे मैखाना
सुनो ये जन्नत के फरिश्तों को भी तुम ये बतलाना
हज़ारो लाखो हूरो को हुस्न को समेटा है मैखाना। 33
मेरी हर सांस में है इसका बसेरा इसका ठिकाना
लहू के साथ मेरे नश नश में भी बहा है मैखाना
जाम जब भी उठाओ तुम सिर्फ याद करते जाना
कयामत आ गयी दुनिया मे पर बचा है मैखाना। 34
अगर मेरी शाकी की नज़रे है बेहद कातिलाना
तो कातिल निगाह की एक जगह है मैखाना
मुश्किल है इसे भुलाना मुश्किल है जाम छुड़ाना
यहां के सारे रिन्दों की रग रग में रचा है मैखाना। 35
देख के लौट आया सारे बाग बगीचे और गुलखाना
मेरी इन आँखों को तो सिर्फ जचा है मैखाना
गुलो से भरा हुआ है मेरी शाकी का ये बाग बगाना
चंदन महकती खुशबू सा महक रहा है मैखाना। 36
शाकी हमारी ये बात तुम सारे रिन्दों तक पहुँचाना
अबेजमजम पानी के जैसा एक शुधा है मैखाना
राह में जो मिले तुझको उसको भी तू साथ बैठाना
रीत पुरानी छोड़ अब नई रीत से रंगा है मैखाना। 37
इसमें मस्ती भरी सुरूर है नशा है इसमें मनमाना
लूट सको तो लूट लो जाम लुटा रहा है मैखाना
सच है वक़्त की घड़ियों से कब बंधा है पैखाना।
वक़्त बेवक़्त कभी भी मेरा छलकता है मैंमाना
38
हौले हौले शाकी तुम अपना कंगना खनकाना
खनक ऐसी है इसकी की मचल रहा है मैखाना
इसे जो न समझे साकी उसको तुम समझाना
नए सुर और नए ताल की नई विधा है मैखाना। 39
मदहोशी में इसके शाकी तुम सबको बहकाना
मदहोशी भरी हुई है इसमें एक नशा है मैखाना
गहरा है ये कितना, यह अब तक किसने जाना
आसमां के सितारों से भरी कहकशा है मैखाना। 40
सो जाए जब रिन्द पीते पीते तुम उसे जगाना
लगे उस पगले को की उसे जगा रहा है मैखाना
अपने हाथों से उसके सिर को धीरे से सहलाना
उठकर रिन्द भी देखे क्या खूब सजा है मैखाना। 41
जो ना पी पाए इश्क़ का जाम उसको पिलाना
मेरी अपनी मोहब्बत का सुंदर सिला है मैखाना
पीते पीते मन जो भर जाए तो रिन्द को सुलाना
सपनो में अमन चैन के रंगों से सना है मैखाना। 42
जिंदगी तू भी इसके किस्से का है एक फसाना
तेरे सारे फसानो में भी हमने सुना है मैख़ाना
शाकी जाओ ये बात रिन्दों को तुम बतलाना
तुम्हारे होंठ जैसा ही खलिश मजा है मैखाना। 43
जाम पीने का हुनर तुम हमको भी सिखलाना
शाकी मैं एक अंजाना हूँ और नया है मैखाना
दिन रात यही बीते लगता है ये मेरा आशियाना
दुनिया सारी बेगानी लगे अपना लगा है मैखाना। 44
मैं एक मस्ताना हूँ , शाकी का हूँ एक दीवाना
मेरे इस दिल के कोने कोने में छपा है मैखाना
मैं भटकता रहा हूँ दर बदर मन्जिल से अंजाना
आंखे मेरी खोजती जाने कहाँ छुपा है मैखाना। 45
जब मैं बेसुध हो जाऊ, शाकी तुम मुझे बचाना
मेरी इस बेख्याली और नशे की रिदा है मैखाना
गुम गर हो गया इसमें मैं तुम मुझको न जगाना
मेरे लिए सब बेवफा है बस दिलरुबा है मैखाना। 46
आंखों में प्यास मेरे तो होंठो पर इसका गाना
जाम के दो घूँट पीकर रोज बहकता ये रिंदाना
जाने कैसा लगता होगा ना भरा हुए ये पैमाना
जीवन तो मेरा बस वहीं है जहां रमा है मैखाना।। 47
अल्लावाला मस्जिद में बैठा, बिल्कुल अंजाना
कहता है कि अच्छा नही बहुत बुरा है मैखाना
नादान है वो उसने तो बस इतना न जाना
मेरे अल्लाह के घर पर भी बहा है मैखाना।। 48
मेरी शराफत है इसमें रचा बसा है मेरा इमाना
दीन धरम है ये मेरा, मेरा सारा जहाँ है मैखाना
शाकी तू मुझको न दिखा ये हुस्न कातिलाना
तेरे बसती जलवो की कातिल अदा है मैखाना। 49
तुम जब भी आना मेरे पास तो साथ लेते आना
जाम हाथों मेरे इन में रहे और रहे ये मैखाना
डगमग डगमग चलना रास्तो पे तू लेकर मुगाना
सागर बन कर बज्म में खनकता है मैखाना। 50
शाकी जब जब तेरी आंखों में बहता है फसाना
तब तब मेरे इस दिल मे मचल उठता है मैखाना
जब भी बढ़ के रकीब आये शाकी के आस्ताना
तब मेरे सीने में आग बन सुलगता है मैखाना। 51
इसकी हर एक फ़िज़ा है जैसे कोई सूफियाना
देखो दुनिया की रंजिश को मिटा रहा है मैखना
देखो जो पीना तो इसको तो फिर प्यार से पीना
बस शाकी की ही नज़रो का प्यासा है मैखना। 52
यहाँ जो आये हर रिन्द का तेवर है बगियाना
तेवर बन कर उसके रग रग में बसा है मैखाना
शाकी शक न करना मेरा मिज़ाज़ है काफिराना
देखो अपने रंग में मुझको रंग रहा है मैखाना। 53
डगमगाते मेरे कदमो का अंदाज है खुसरवाना
चल चल कर थक पैर अभी कहा है मैखाना
अंजाना हूँ राह से मुश्किल मेरा है सफरनामा
नज़र न आये मुझे अब कहा खोया है मैखाना। 54
होली दिवाली सब इसके लिए है आमियाना
यहाँ हिन्दू मुस्लिम साथ बैठ पीता है मैखाना
इसमें तो न कोई सियासत है न कोई दंगाना
लाल हरे रंग की सियासत समेटा है मैखना। 55
रंगों का भी कोई भेद नही इसमें न है जारिहाना
जाति पाति का तो कोई भेद न रखता है मैखाना
बड़ी सुहानी इसकी सदा है अदा है शायराना
शाकी की खनकती पायल से गूंज रहा है मैखाना। 56
शाकी तेरी ये खनकती आवाज है जावेदाना
रहेगी तब तक खनक जब तक रहेगा मैखाना
तरह तरह के शीशे से बना है तेरा निगारखाना
इन शीशों में शराब बन कर छुपा है मैखाना। 57
रहे इसकी शान सदा जैसे रहता इसका शाना
बिक गए सब मंदिर मस्जिद न बिका है मैखाना
मुश्किल है एक इस जाम की कीमत लगाना
और ऐसे लाखो जामो से यहाँ बना है मैखाना। 58
शाकी मेरे होंठो से होंठ लगा ये पिलाती जाना
जो तू अपने हाँथो से छूये जाग उठा है मैखाना
इसको तो छोड़ अब रिन्दो को है कही न जाना
उनकी सारी कसौटी पे खरा उतरा है मैखाना। 59
तेरी आंखे में सितारे है और गर्दन है ताइराना
तेरी नज़रो के हर एक वार मे एक है मैखाना
शाकी तुम जाम हो,शराब हो,और हो पैमाना
तुम्हारी सांस से बना कतरा कतरा है मैख़ाना। 60
घर से निकलो तुम राही मंजिल तक ना जाना
कहा कहा भटक रहा है, ना आया है मैखाना
उलझन बढ़ती है उसकी कोई तो समझाना
पगले शाकी की आंखों में देख यहां है मैखाना। 61
घूँट पियूँ दो घूँट पियूँ जो कदम तू बहक जाना
जो दिल भूले तुझको तू भी भुला देना मैखाना
मचल के तुम यूँ शाकी की बाहों में आ जाना
जैसे इस चांदनी रात में मचल रहा है मैखाना।
62
आगोश मेरा खुला है कबसे तुम इसमें आ जाना
मेरे तेरे इस वस्ल की रात का गवाह है मैखाना
मेरी नज़रो में झांक कर तुम हौले से मुस्काना
हमारी मोहब्बत का इकलौता पनाह है मैखाना 6
शाकी तुम भी देखो रिन्द की आँखों मे रोजाना
जैसे वो मस्तानी नज़रो से झांक रहा है मैखाना
ये ही रिन्द की कीमत है ये ही उसका नज़राना
इस पगले का तो सारा जहाँ है मैखाना। 64
जब तलब बढ़े मेरी हो जाऊं मैं जब भी प्यासा
मेरे होंठो पे रखना जो साकी ने चखा है मैखाना
भूखे प्यासे रिन्द के लिए शाकी तू है पयम्बराना
तुम्हारी कहने पर रिन्द के लिए रुका है मैखाना। 65
ये रिन्द प्यासा है हरकते उसकी है अहमकाना
उन सभी दीवानों के लिए एक हिरा है मैखाना
आये जो रिन्द मैखाने से तेवर होता है फतेहाना
जब रिन्दों पे मुसीबत आयी जा लड़ा है मैखाना। 66
कहना सुनना सबसे रिन्दों तुम अब भुला जाना
तुम्हारी और तुमसे सुनने वाला बस है मैखाना
मत कहना किसी से गम अपना ना अफसाना
तेरे दर्दो गम को सुनने के लिए खड़ा है मैखाना। 67
यूँ नाराज होकर शाकी तू महफ़िल से न जाना
रिन्द सारे तेरे अपने है, तेरा अपना है मैखाना
तेरे बगैर यहाँ तो बस उदासी का है छा जाना
तेरे नज़रो के जाम के बिना प्यासा है मैखाना। 68
शाकी नाजनी बड़ी है खूबसूरती की हुस्नेशाना
आंखे ये जाम बनी है, तो होंठ बना है मैखाना
उन आँखों के नशे को घट घट कर पीते जाना
जाम गर सावन है तो सावन की घटा है मैखाना। 69
माथे की बिंदिया से इसका रिश्ता है जावेदाना
उसके चमकते माथे सा चमक रहा है मैखाना
शाकी के हुस्न का कायल है रिन्दो का घराना
उसने जो होंठ लगाये तो चहक उठा है मैखाना। 70
चूड़ी की छन छन और कंगन का खनखानाना
यूँ आंखे झुकाना और इन पलको को उठाना
तेरे होंठो पर ये तिल और उसपे तेरा मुस्कुराना
इन हसीन लम्हो को पास लिए बैठा है मैखाना। 71
उसके कदमो के साथ पाजेब का छमछमामा
उनका बेतल्लुफ़ होकर सभी से खिलखिलाना
उन जल्फो के खुलते ही बरसात का हो जाना
शाकी की ऐसी अदाओं का एक घड़ा है मैखाना। 72
साकी के नज़रो की चमक से आँखे चौंधियाना
रिन्दों का साकी की देखके खुद को भूल जाना
तेरी इन अदाओं से ये शराबी बना एक अंजाना
मेरी शाकी अब तू ही बता मुझे कहा है मैखाना। 73
टेढ़ी मेढ़ी राहें मेरी है,मेरा है ये छलकता पैमाना
मेरी शाकी मेरा जाम और मेरा अपना है मैखाना
जिस मैंख़ाने में बैठा रिन्द पी रहा भर कर जामा
जाने कितने रईसों का सपना रहा है ये मैखाना।
74
उबाड़ खबाड़ रास्तो से होके मंजिल को है जाना
देखो कितने मुश्किल हालातो से बना है मैखाना
लाखो दर्द और लाखों प्यारा का लिए अफसाना
जाने ऐसे कितने ही एहसानों से सना है मैखाना। 75
मंजिल तू राही भी तू,राह पर तेरा है आना जाना
मत भूलना रिन्द तेरी ये प्यास बुझाता है मैखाना
तंग होके दुनियादारी से जो गिर जाता है यगाना
अपनी आगोश में संभाल उसे उठाता है मैखाना। 76
ना जानू कैसी दुनिया है कैसा इसका अफसाना
कैसी इसके रस्में है,जाने कैसा इसका रिवाजाना
जो बनता है अपना इसमें वो हो जाता है बेगाना
ऐसे सब बेगानो को भी अपना बनाता है मैखाना। 77
संकोच न करना तू इसको घट घट कर पी जाना
कोई शर्म न बोतल को न तू पीने में इसे लजाना
हिसाब किताब की बातें नही न कोई हर्जाना
तुम्हारी जागीर और पुश्तैनी हक है ये मैखाना। 78
मुसब्बिर हूँ मैं इसका मेरी किताब लिए पैमाना
खुदा का कहा मानकर ही मैंने रचा है मैखाना
मेरे हर एक मिसरे में छुपा है नया अफसाना
मेरे सुखन के लफ़्ज़ों सा नशीला है ये मैखाना। 79
कर लो तुम इससे कोई करार निभा लो याराना
न ऐसी शाकी मिलेगी, न मिलेगा ऐसा मैखाना
इसमें वादों पर तुम बेहिचक ऐतबार कर जाना
इसकी वफ़ा के किस्सों से भरा पड़ा है मैखाना। 80
जाम बिना पिये ही रिन्दों पर नशे का चढ़ जाना
बिन पिये ही इन पागलो के पैरों का लड़खड़ाना
महक से ही इसकी शेख साहब का कुलबुलाना
ऐसी बेबसी बेचैनी, बेसब्री का इन्तेहाँ है मैखना। 81
रिन्दों की सारी की सारी बातें है बिल्कुल रिंदाना
उनके तन मन और नस नस में बसा है मैखाना
उनकी सारी बातो में भी होता है ये जिक्रे पैमाना
उन सब के सपनों का एक ख्वाब बुना है मैखाना। 82
करके देखो भरोसा इसपे,करो इससे करारनामा
जब तक करार रहेगा, तब तक रहेगा ये मैखाना
इसकी सब बातें चीनी सी, लगती है शरबताना
मीठे शरबतो से भी कही मीठा लगता है मैखाना। 83
पहली बार जो जाना तो अदब साथ लिये जाना
कुछ और नही प्यार अदब का भूखा है मैखाना
रिन्दों की महफ़िल में इसका होता है बखाना
सौ सौ जामो के छलकाने से ये बना है मैखाना। 84
शाकी इस जिंदगी का हिसाब किताब समझाना
सबसे हो अंजान मेरे लिए सारा जहाँ है मैखाना
जैसे नफा नुकसान न देख सबको अपना माना
वैसे ही रिन्दों में कोई फर्क न करता है मैखाना। 85
मेरी शोहरत मेरी इज़्ज़त और अब ये मेरा तराना
मेरे रग रग में कतरे कतरे में देखो बसा है मैखाना
मेरी अंतिम यात्रा मेरे सफर का अंतिम सफरनामा
ख्वाहिश बस इतनी की अंतिम मंजिल हो मैखाना। 86
इंतेज़ार में आंखे बिछी और बिछा है दस्तरखाना
शाकी के कदमो की आहट में बिछा है मैखाना
अगर आ जाये वो तो ये मौसम बन जाये सुहाना
रुनझुन रुनझुन इन छमकारो पर लुटा है मैखाना। 87
जाम होंठो से लगते ही खर्च हो गया है पैखाना
जाने किन मुकामो में दर्ज हो गया है मैखाना
मैखाने में जाने की इनकी आदत बनी रोजाना
रिन्दों की मजबूरी का मर्ज हो गया है मैखाना। 88
मजझार में फसी मेरी नाव को हल्के से खेवाना
शाकी सागर की गहराई से भी गहरा है मैखाना
जो करते है रिन्दों की मजम्मत बनके वाहिलाना
ऐसे शराब न पीने वालों पे एक पहरा है मैखाना। 89
कैसी ये मजबूरी खुदा जाने कैसा है ये फसाना
सुना है कि लोग कहते है बहुत बुरा है मैखाना
क्या बुरा है कौन सही है ये मैंने कभी न जाना
दुनियादारी से मुझे बचा एक शफा है मैखाना। 90
एक एक घूँट जाम की है समुंदर सी शायराना
समुंदर सा ही लाखो राज छुपा बैठा है मैखाना
जब भी देखा तुझको तो देखा ये खाली पैमाना
और देख तू कैसे मेरे सजदे में झुका है मैखाना। 91
मेरे होंठो और पैमाने के बीच हल्के से बसजाना
जब खोलू मैं अपनी आंखें सामने तू आ जाना
मिला कर इन नज़रो से नजरें हौले से मुस्कुराना
दुनियावालो देखो नया गुल खिला रहा है मैखाना। 92
इसकी महक से ही वो रिन्दों का यहां चले आना
वो जाम का सागर और भरा रिन्दों का पैमाना
शाकी जब भी खोले दरवाजा तू चुपके से आना
फिर आकर देख क्या काम की बला है मैखाना। 93
न मिला आबेजमजम कोई न कोई दौलतखाना
जाम मेरे पैमाने का है इन सब से बिल्कुल आला
इसमें सागर सिमटा है, इसमें सिमटा है खजाना
रिन्द बने है गहना और इनसे सजा है मैखाना। 94
अगर मुझे कोई दुआ दे तो फिर वयही देते जाना
आगे मिलता रहे यूँ जैसे आज मिला है मैखाना
हसरत न मांगे कोई ताज न ही कोई राजघराना
मेरे लिए हज़ार तख्तो से कही बड़ा है मैखाना। 95
हो धरती पे मुझे भेजना तो वर यही देते जाना
आऊं उसी जगह पे जहाँ आज बसा है मैखाना
आऊं जब मैं तो ये कहने के लायक बना देना
आओ रिन्दों खूब पियो, आज खुला है मैखाना। 96
ये रात सुरा भरी है और भरा है इसमें फ़ातेहाना
हंसी आंशू प्यार दोस्ती ये सबसे भरा है मैखाना
इससे पहले की ढल जाये रातों को जरा चुराना
पैमाने में लबालब भरी हुई एक सुरा है मैखाना। 97
किसकी बोलू, किससे बोलू, मुश्किल है बताना
है राज ये बहुत जरूरी भी नामुमकिन है छुपाना
हो सके तो बिन कुछ बोले ही शाकी को जताना
उसके इस हुस्न से कही ज्यादा बड़ा है मैखाना। 98
मिलना बिछड़ना तो है किस्मत का ताना बाना
जाम कौन आखिरी है, बात बता किसने जाना
मैखाने की दहलीज के आगे छोटा है आस्ताना
ऐसे पी हर घूँट ये जैसे आखिरी बचा है मैखाना। 99
सौ सौ रुबाइयां लिख मिजाज हुआ आशिकाना
एक एक रुबाई में दस दस जाम भरा है पैमाना
पढ़ लेना जब इसको तुम शाकी को भी पढ़ाना
पढ़ना इसे गौर से मेरे दिल की सदा है मैखाना। 100
जाम की महक और चूड़ियों का खानखनाना
दावत का है न्यौता तुमको और सजा है मैखाना
कोयल जैसी मीठी आवाज में उसका चहकाना
इस चहक की आवाज से चहक उठा है मैखाना। 101
वक़्त बेवक़्त बोतल खुले और जम जाए याराना
मैं बैठू तुम भी बैठो और साथ बैठे ये अफसाना
सिर्फ दो चार ही नही, दौर पर दौर तुम चलवाना
पिलाते रहो तब तक, जब तक बंद न हो मैखाना। 102
कहो कैसी है मोहब्बत इसकी कैसा है याराना
जाम के हर घूँट के साथ जुड़ा है एक अफसाना
शाकी तू इन मस्जिद वालो की बातों में न आना
हमारे लिये तुम्हारे लिए खुदा का घर है मैखाना। 103
मेरे जीवन का हर लम्हा है बस इसका शुकराना
हर किस्सा हर कहानी सिर्फ इसका है नज़राना
जाम जब होंठो पर जाए तभी है मेरा मुस्काना
मेरे जीवन जीने का बस एक जरिया है मैखाना। 104
प्यास मिटे न जब तक शाकी तब तक पिलाना
मदहोशी में ही तुम मुझको अपने से मिलाना
रख के गोद मे मेरा सर थपकी दे मूझे सुलाना
जब तक चैन से सो न जाऊं खुला है मैखाना। 105
ऐसे पीते पीते ही मेरा जनाजा रिन्दों तुम उठाना
लेकर चलना कंधे पर और पैरों को लड़खड़ाना
मेरी इतनी बात मानो तूम मुझे वहां दफनाना
जहाँ जाम का सागर हो और खुला रहे मैखाना। 106
मेरे शुकून के लिए मुझ पर तुम जाम छिड़काना
ले चलना हमे उस गली से जहाँ दिखा है मैखाना
पी पी कर मुझको भी संग अपने तुम बहकाना
सुपुर्द करना उस खाक में जहां रहा हो मैखाना। 107
तबियत इसकी नरम है और तासीर है शायराना
रिन्दों की महफ़िल है यहां कोई नही है अंजाना
जाम पीते है कैसे ये तुम इन सबको न बतलाना
शराब पीने वालों की तो इबादद गाह है मैखाना। 108
जाम पीने का सलीका तू मुझको भी सिखलाना
नया हूँ मैं, इस शहर का तरीका मुझे भी बताना
जाम है क्या शाकी है कौन इन सबसे हो बेगाना
बेखबर हूँ बिल्कुल इससे क्या बला है मैखाना। 109
जब भी मैं उदास रहूँ तू जाम मुझे पिला जाना
मेरे जख्मो पे अपने ही हाथों से मरहम लगाना
जो ना सिलाये उकेरे जख्मो को मैखाने लाना
सुना ऐसे दिल के जख्मो को सिलता है मैखाना। 110
राहों में जब निकलता रिन्द भरने खाली पैमाना
इसी उधेड़बुन में रहता कि कहा मिलेगा मैखाना
सब उसे नए रास्ते बताते पर कोई य ना बताना
बस शाकी हाथ पकड़ चल आ जाएगा मैखाना। 111
कश्मकश कैसी मन मे ये कैसी उलझन पाला
चारों ओर देख रहा पर ना दिख रहा है मैखाना
पागल नादान है बात बस इतना न उसने जाना
जहां चार यार बैठ जाए वही जगह है मैखाना। 112
मंदिर मस्जिद एक है और एक है काशी काबा
यही बात सबको अक्सर समझाता है मैखाना
ना इसमें कोई दूरी है ना इसमें कोई है बेगाना
एक पैमाने से सबको जाम पिलाता है मैखाना। 113
भूल सभी से गिले शिकवे कर लो सुलहनामा
हाथ पकड़ कर दुश्मन का ले आओ मैखाना
खुद जी भर पीओ उसे भी मन भर पिलाना
खत्म हो रिस्तो की दरार वो जगह है मैखाना। 114
न मुझको तुम अपना मानो न मुझे अपनाना
है अपना कौन पराया कौन मुझे ना समझाना
कौन साथ है और किसे है छोड़ कर जाना देखो
सबने साथ छोड़ा पर साथ खड़ा है मैखाना। 115
मेरे कदमो को जाम पी कर है बस लड़खड़ाना
शाकी तुम मेरा हाथ पकड़ कर मुझे संभालना
थक जाऊं जब मैं पी पी कर तुम साथ निभाना
जो न चल पाऊं हाथों के सहारे ले जाना मैखाना। 116
साथी पीने में साथ निभाओ बना रहेगा दोस्ताना
जाम से जाम टकराओ छलकता रहेगा पैमाना
मेरी कही शाकी तूमने कभी भी तो नही माना
देखो आज मुझे लाने खुद घर आया है मैखाना। 117
इसमें न कोई महफिल है ना किसी का रुसवाना
ये ना साथ छोड़ता है न ही इसने किया हर्जाना
है कोयल सी आवाज में शाकी का कुहकुहाना
खुदा ने एक सुखन से सजाके बनाया है मैखाना। 118
जो जाम मिले तो दुश्मन के घर से भी पी आना
जो थे गिले शिकवे वो सारे के सारे मिटा आना
नफरत की कश्ती को भी दरिया में डूबा आना
आकर साथ बैठना तब भी खुला रहेगा मैखाना। 119
काम आया हुनर मेरा काम आया जाम छलकाना
खत्म हो रहा है किस्सा जब शाकी तू साथ आना
मेरे कदमो से जरा तुम अपना भी कदम मिलाना
साथ मिलकर चलते है, देखो आ जायेगा मैखाना। 120
मदमस्त सुरूर में शाकी मुझको भी तुम झुमाना
जाम की लहरों पर बैठा उनपे मुझे खूब झुलाना
मेरे किस्से मेरे अल्फाज और ये मेरा अफसाना
सब मैंने तुझे दिया ये सब तेरा हुआ है मैखाना। 121
लेकर मुझसे मेरा सब मुझको मालामाल बनाना
हाथ में जाम भरा कश्कोल दे फकीर सा सजाना
सारी बेड़िया तोड़ मेरी मुझको तू आज़ाद कराना
इस आज़ादी को कुर्बान कर वहां जहाँ है मैखाना। 122
गीत ग़ज़ल और सुहाने शेरो से सजा ये तराना
भूल ना जाना होश आने पर छलकता पैमाना
ये मदहोशी ही भली और भला है इसको पाना
खुदा मुझे बेहोश वहां कर जहाँ खुला है मैखाना। 123
मैं जब भी जागू सामने मेरे हो बस ये नजराना
जाम इशारे करे मुझे, और बुलाता हो मैखाना
शाकी चल चले कही दूर जहां न हो ये जमाना
बस तुम रहो मैं रहूँ और रहे सिर्फ ये मैखाना। 124
मैं इसके लिए अंजाना हूँ मेरे लिये ये बेगाना
ना मैंने इसको को जाना न इसने मुझे जाना
इस शहर में आये तो चुपके से गुज़र जाना
नही दिल्लगी उन लोगो से जहाँ न हो मैखाना। 125
छोड़ा है दुनिया मैने छोड़ दिया सारा जमाना
चाहे कोई अंजाना हो या हो जाना पहचाना
नही किसी से बाते करना न दिल को लगाना
मेरी दुनिया मेरे सारे सपने बस एक है मैखाना। 126
भले ना हो कभी खुदा के घर पर आना जाना
पर प्यासा ये रोज जाम भरे रोज जाये मैखाना
प्यास न बुझती इसकी न टूटता इसका प्याला
भर भर नीर पिलाये इसको वो जगह है मैखाना। 127
सागर की लहरें ठहरी हो या नदी का बह जाना
कोई इससे बढ़ी लहर नही न कोई है गहराना
अगर हज़ार राज दफन समुंदर के सीने में तो
अरबो खरबो बाते खुद समेटे बैठा है मैखाना। 128
राज कितना दफ्न है जाने दफ्न कितना खजाना
समुंदर और नदियों से भी कही गहरा है मैखाना
शाकी जल्दी नही है कोई हौले हौले ही पिलाना
मेरी प्यास खातिर सालों साल खुला है मैखाना। 129
इसकी खातिर महबूबा छोड़ा बन गया अंजाना
इश्क़ का नही हुआ मैं बस हुआ इसका दीवाना
मैंने इसे महबूबा बोला सब कुछ अपना माना
मेरे लिए मंदिर मस्जिद तो है बस मेरा मैखाना। 130
शाकी तेरा सुंदर चेहरा है,तू है मेरी जाने जाना
तू मेरी दीवानी है और मैं हूँ सिर्फ तेरा दीवाना
सिर्फ तू ही बसी है मेरे इस दिल की धड़कन में
अब तुम भी सिर्फ मुझको ही दिल मे बसाना। 131
जगमग जगमग चाँद सितारे, इनका टिमटिमाना
ये सारे जाम के अंदर जिसे रोशन करता मैखाना
सात समंदर सी प्यास मेरी नामुमकिन है बुझाना
जो है तुम्हे इसको बुझानी बनना पड़ेगा मैखाना। 132
आये राह में कितनी अड़चने तू तो चलते जाना
रुकना ना तब तक, जब तक आये ना मैखाना
मंजिल करीब देख कर कदम तेजी से बढ़ाना
दिल मे इश्क़ ले चलता जा आ जायेगा मैखाना। 133
पीना जो पहली घूँट तो करना इसका शुकराना
ऐसा स्वाद ना अबेजमजम में जैसा है मैखाना
जैसे मैं करने को कहता हूँ तुम वैसे करते जाना
दिल मे बसा शाकी की सूरत तू आना मैखाना। 134
शाकी ने यहां बनाया तुम्हारे पीने का ठिकाना
ऐसा प्यार न देगा कोई जैसा प्यार देता मैखाना
इसके लिए है सब बराबर और सब एक समाना
चाहे शाकी का दिल कहो या फिर कहो मैखाना
शाकी से लगन जैसी रिन्दों दिल इससे भी लगाना
रिन्दों की चाहत है शाकी और मोहब्बत है मैखाना
ना इसका कोई सानी है और न ही कोई दुश्माना
प्यार इश्क़ सबके लिए बराबर रखता है मैखाना। 135
मैं जानू, तू भी जाने और जाने ये सारा जमाना
सूरा भरी बोतल लेके ये बात तू सबको बताना
आँखों ही आँखों मे मोहब्बत शाकी से जताना
हो जाये जब हसरत पूरी तो सजा देना मैखाना। 136
खतम जब भी होवे मेरी जिंदगी का अफसाना
मैं खाट पर सोया रहूँ और भरता रहूँ पैमाना
खट्टी मीठी यादों को बना कर अपना चखाना
उस एक दौर में देख मैने समेटा पूरा है मैखाना। 137
साथी ये आखिरी सफर है मेरा आखिरी गाना
दिल भर सुन लो इसको फिर कभी गुनगुनाना
मदहोशियों भरे इसके अल्फाज़ो को तू सुनाना
सातों सरगम के सूरो को समेट बना है मैखना। 138
सुनो दुनिया वालो जो टूटा है वो मेरा है पैमाना
साथ छोड़ रहा है मेरा अब मुझको भी है जाना
सब छोड़ रहे साथ, सांसे का है गिन कर आना
सब तो चले गए फिर भी साथ डटा है मैखाना। 139
मुसाफिर लतपथ लटपथ राह पर चलते जाना
मंजिल आने से पहले ही आ जायेगा मैखाना
एक ये संदेशा तू जहां में सबको बस देते जाना
बेवफा है ये जिंदगी, बस एक वफ़ा है मैखाना। 140
महबूबा की मोहब्बत का है नही कोई ठिकाना
उतना मुकम्मल नही है ये जितना है ये मैखाना
अंतिम चले जब सांसे तो काम ये करते जाना
महबूबा की गलियां छोड़ तू चले आना मैखाना। 141
किस मंजिल किस सफर का है ये ताना बाना
भटक रहा इस भूलभुलैया में बेचारा अंजाना
उम्मीद नही आती कोई ना कोई मंजिलनामा
छोड़ इन सबका चक्कर कह रहा है मैखाना। 142
मेरी अंतिम यादो की ये एकलौती जमाखाना
है राज कितने इसमें किसी को तू ना बताना
बंद बोतल में शराब जैसी तुम इसको छुपाना
है कसम इस जाम की इशारे में भी न जताना। 143
जो मैं मर जाऊ लेकर आज शाकी का नामा
सुनो मैखाने में न करना तुम कोई भी हंगामा
मैखाने की इस मिट्टी को मेरे माथे से लगाना
और मैखाने की आगोश में ही कही दफनाना। 144
ना सुर है ना ताल है और ना ही है कोई गाना
कानो को तो मेरे सिर्फ एक सुनना है मैखाना
मैं जब भी इन हवावो मे इसकी कोई धुन छेड़ूँ
तुम भी मेरी का ताल संग अपने सुर मिलाना। 145
छलके जाम पैमाने से या अब टूट जाए पैमाना
बची दो चार घूँट जो, मुझको तुम पिला जाना
मना जो करू पीने से फिर भी पिलाती जाना
तेरी सोहबत दीवानी है मेरी फितरत है मस्ताना। 146
छमछम छमछम शाकी तेरा पायल छमकाना
छन छन चूड़ी बोले तेरा कंगन का खनकाना
मिलेगा ऐसा और कहा तुम मुझको बतलाना
कहा मिलेगी ये शाकी कहा मिलेगा ये मैखाना। 147
हो जब इससे मोहब्बत हो तब ही तुम आना
जाम का नही बस इश्क का भूखा है मैखाना
जितने आये इसमें सबको तुम पिलाती जाना
पेट नही सिर्फ रूह भी तर कर रहा है मैखाना। 148
उबड़ खाबड़ रस्ते है, मुश्किल है सफरनामा
शहर के शोरोगुल से कही दूर बसा है मैखाना
जब तुम जाना तो साथ अपने ये लेते जाना
दिल मे प्यास रहे और हाथों में रहे मैखाना। 149
आज जाओ अब बंद करो रूह को तड़पाना
देखो शाकी आज अगोरने खुला है मैखाना
निगोड़े रकीब तुम भी बात मेरी सुनते जाना
जब तक सूरज चाँद है तब तक रहेगा मैखाना। 150
मेरी कसमे मेरी बातें सब है इसका अफसाना
मेरा इस जग से नही बस शाकी से है याराना
उसकी बातें उसकी अदाएं उसका मुस्काना
और कौन देगा नज़ारे ये जो दे रहा है मैखाना। 151
सच सच बता मुझको बन ना बिल्कुल अंजाना
किसकी ये जमीने है और किसका है ये घराना
आंखों में आंखे डाल हकीकत मुझको बताना
शाकी की जमीने है और मैखाने का है घराना। 152
कब तक ख़ामोश रहूँ मैं नही आता है छुपाना
तेरी बातें नशे सी है और बदन तेरा है मैखाना
कर रहम थोड़ी ये नशा जरा मुझे भी चखाना
फिर न ये शाकी मिलेगी ना मिलेगा ये मैखाना। 153
बेसुध पड़ा हूँ जमीन पर होंठ मांग रहे है जामा
कितना बेबस हुआ शाकी किसी को न बताना
निगाहे पढ़ लो मेरी अब मुश्किल है बोल पाना
ये मांग रहे वो दुआ जिसमे शामिल हो मैखाना। 154
मेरी तलब बन गया तू, बन गये तुम मेरा तराना
तुमको बिन पिये तो मुश्किल है मेरा जी पाना
होंठो की प्यास ऐसी है कि ढूढे है तेरा बहाना
बेचैन फिरता है ये पागल ढूढ रहा है मैखाना। 155
आख़िरी सफर का रास्ता भी है बहुत मनमाना
बहक बहक कर चलता है ये जाने क्या है ठाना
एक बात बता क्या सूझी है तुझको जरा बताना
हवा तू वहीं क्यों जाती है जहां जाता है मैखाना। 156
कितना लम्बा सफर रहा है छोटा पड़ा जमाना
भरा हूँ कुहसारो से जैसे जाम से भरा है पैमाना
अगन मेरे दिल की मेरी शाकी थोड़ी तो मिटाना
मुझे संभालने के लिए खुदा ने बनाया है मैखाना। 157
मेरी जीवन की बातें शाकी तुम सबको बताना
कैसा मेरा जीना था और कैसा रहा मर जाना
जब तक जिया कैसे बना मैं इसका दीवाना
कैसा मेरा पीना था और कैसा था मेरा मैखाना। 158
कैसे मेरे होंठो को लगता था जाम का पैमाना
कैसा रहा हर बूंद का रूह तलक अंदर जाना
कैसा उसकी बूंद बूंद पर रहा मेरा इश्काना
कैसे मेरा दिल धड़कन और जान बना मैखाना। 159
कैसे गुज़रे थे दिन मेरे और कैसी थी मेरी शामा
क्या था मुझको खोना और क्या रहा था पाना
कैसा रहा इसका मेरी तो रग रग में बस जाना
कैसे मेरे सुख दुख दुख का साथी रहा मैखाना। 160
जीवन जो जीना हो तो फिर ऐसे तुम जी जाना
बैठे हो मैखाने में और इन हाथो में हो पैमाना
इतना पियो को शाकी का मिले कोई नज़राना
जन्म लेना इस शर्त पे की किस्मत में हो मैखाना। 161
साकी और जाम तुम दोनो मुझे भूल न जाना
साकी मेरी जान है तो मेरा दिल है ये मैखाना
पी लू जब मैं फिर मुझको होश में न तुम लाना
सुला देना मुझको जमीं पर बन कर देना मैखाना। 162
नशा जो इसका चढ़े बिल्कुल ना उसे छुपाना
दिल की सारी बाते जमाने भर को तुम बताना
कुछ न छुपा के रखना सब साकी को जताना
जो न कह पाये तो कहने को हाज़िर है मैखाना। 163
समुंदर सी गहराई इसमें, नदियों सा है तराना
इसमें आने वाला हर रिन्द है बड़ा भोला भाला
पाप पुण्य का कोई भी तो तराजू नही यहां पर
मंदिर मस्जिद से कही ज्यादा पाक है मैखाना। 164
जो नशे में रिन्द आये गढ़ता है सौ अफसाना
उसके किस्से उसकी बातें साकी सबको बताना
वो तो पगला है उसने ये बिल्कुल भी ना जाना
उसका सबसे बड़ा हमदर्द है ये मेरा मैखाना। 165
चलो वहां पर जहां पर ना हो ये बेदर्द जमाना
न इसकी शाकी हो न हो इसका कोई पैमाना
इसको तो चाहिए अपना प्याला और जामा
अपनी शाकी हो बाहों में और अपना हो मैखाना। 166
शहर से दूर शाकी के संग बनाया है आशियाना
ना किसी के चर्चे है यहाँ पर न किसी का आना
ना कुछ खोने को है और न किसी का जाना
बस मैं हूँ ये जाम है मेरा और मेरा है मैखाना। 167
मेरी शाकी मेरा जीवन और मेरा जो यह तराना
इन सब के होने का तो बस सार है मेरा मैखाना
मंजरू है बिल्कुल मेरी जिंदगी से सब चले जाना
पर नही मंजूर की जीवन से जाए मेरा मैखाना। 168
ना ही इसमें दगा है कोई न इसमें कोई जुर्माना
बहुत आसान है मैखाने का होकर रह जाना
सिर्फ बोतल लो और हाथों में ले लो तुम पैमाना
और चले जाओ उस राह पर जहां हो मैखाना। 169
चलो अब बंद करो पढ़ना खाली हुई ये पैमाना
बोतल की बात क्या,अब खाली हुआ खजाना
बचाने का इसको नही है अब कोई नया बहाना
शाकी होश संभालो अब खत्म हुआ है मैखाना। 170
चल रहा हूँ मैं बंनाने अब कोई नया आशियाना
जो ताउम्र साथ चलना है तो साथ मेरे तू आना
जाम छोड़ा मैंने और छोड़ा है हाथ का पैमाना
एक ख्वाहिश की बात थी मैने छोड़ा है मैखाना।। 171
निकलकर इससे तुम सीधे रकीब के पास जाना
पुरानी गली के उस पुरानी ग़ज़ल को गुनगुनाना
नए अल्फ़ाज़ बेरस है सुनो वही इश्क़ का तराना
समेटे दिल मे लाखो फसाने बंद हुआ है मैखाना। 172
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