पाखंडी से संघी
बलात्कारियों की पार्टी के बलात्कारी समर्थक सदस्यों से उम्मीद भी क्या की जा सकती है। यह इतने बड़े थेथर हैं की इन्होंने उन्नाव में इतनी छीछालेदर होने के बाद भी उसी बलात्कारी के भाई को जिला पंचायत अध्यक्ष टिकट दे दिया , जो खुद बलात्कार में बराबर का सहयोगी रहा है।
लेकिन उससे बड़ा अफसोस हमें जनता की सोच पर होता है कि, जनता आज इतनी मूर्ख हो चुकी है कि उन्हें धर्म के चश्मे के आगे न बलात्कार दिखता है ना बलात्कारी दिखती हैं।
यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि लोग आखिर किस तरह का देश और किस तरह का वातावरण बनाना चाहते हैं ? क्या यह अंधे हो गए हैं? क्या इनको समझ में नहीं आता कि किस तरह इन लोगों ने उन्नाव के बलात्कारी सेंगर को बचाने की पूरी कोशिश की । पीड़िता को आत्मदाह करने पर मजबूर किया गया , तब जाकर किसी तरह से उस विधायक की गिरफ्तारी हो पाई । और आज वह जेल में आराम की जिंदगी जी रहा है। क्या हमारी जनता को यह नहीं दिखाई देता कि किस तरह कुछ खास जाति के लोगों ने बलात्कार किया, और उस दलित को साजिशन मरवा भी दिया गया, और उसकी लाश को आधी रात को पेट्रोल से फुकवा दिया गया। उसके बाद 3 दिन तक पूरे गांव को नजरबंद करके रखा। और बलात्कारियों को पूरी तरह से बचाने की कोशिश की गई। सरेआम पुलिस और डीएम एसडीएम से गुंडई करवाई गई । परिवार वालों को लातों से जूतों से हाथों से मारा गया। क्या ये हमारी जनता को नहीं दिखाई देता ?
क्या हमारी जनता को यह समझ में नहीं आता कि किस तरह बीजेपी के विधायकों ने कठुआ में आसिफा के बलात्कार के आरोपियों को बचाने के लिए धर्म के पाखंड से लेकर राष्ट्रवाद के चोचले, हर तरह की फंडेबाजी और धरना प्रदर्शन किया। आखिर जनता कब तक इन मानसिक कोढियों के धर्म के अंधे चश्मे में घुसी रहेगी ? और इनमें कूर्ममो को हमारे सर पर लादती रहेगी ?
ऐसे न जाने कितने उदाहरण कितनी घटनाएं देश के सामने आई हैं ।जिन्होंने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ और सिर्फ लूट का खसोट और बलात्कार का समर्थन करते हैं।इन्होंने सरेआम बलात्कारियों को बचाए हैं, इन्होंने सरेआम लूट मचाई है ।
क्या इस बात का कोई जवाब दे सकता है कि हाथरस में लड़की की लाश को रात को बारह बजे पेट्रोल डालकर क्यों जलाया गया ? उसके घरवालों को 3 दिन तक नजर बंद करके क्यों मारा पीटा गया ? क्यों उसके घर वालों को सरेआम डीएम बयान बदलने के लिए मजबूर कर रहा था ? क्यों उसके घर पर कथित बड़ी जाति के लोग आ करके धमकियां दे रहे थे ?
क्या इनकी पार्टी का कोई भी सदस्य चाहे वह अध्यक्ष ही क्यों ना हो इस सवाल का जवाब देने की कूवत रखता है? क्या यह बता सकते हैं कि कठुआ की 8 साल की नन्हीं मासूम आसिफा का बलात्कार करने वाले बलात्कारियों को धर्म के नाम पर इन्होंने क्यों बचाने की कोशिश की ? क्या बलात्कारियों का भी कोई धर्म होता है ? इन्होंने उन बलात्कारियों को कोर्ट से भगाने की भी कोशिश क्यों की? क्या इस सवाल का जवाब कोई दे सकता है ?
दरअसल इन लुटेरों ने देश के अधिकतर लोगों के दिमाग में धार्मिक कुर्तियों का चरस बो दिया है । ये गंजेड़ी और भंगेड़ी जिस नशे में रहते हैं, उसी नशे में इन गंजेड़ीयों ने पूरे देश को डूबोने की साजिश कर रखी है।
लेकिन एक बात जो हकीकत है, और पूरी तरह से सत्य है, वो यह है कि इन लोगों का ना तो धर्म से कोई लेना-देना नही है। क्योंकि सबसे ज्यादा धर्म के नाम पर पाखंड और चोरी यही लोग करते हैं। अभी हाल फिलहाल राम मंदिर के चंदे में चोरी इसका सबसे ताजा उदाहरण है । राष्ट्र के नाम पर ढोंग करने वाले इन पाखंडीओं के पार्टी से ही अक्सर देशद्रोही और देश के जासूस पाए जाते हैं , जो देश के दुश्मनों से मिले होते है। यह पाखंडी समाज के भी दुश्मन हैं। इन्हीं पाखंडी के पार्टियों में ही कोई नकली शराब बनाकर बेच के सैकड़ों लोगों की जान ले लेता है, तो कोई परीक्षा में नकल करवा करके होनहार विद्यार्थियों का भविष्य छीन लेता है। तो कोई नकली हथियारों का धंधा कर रहा होता है ।
अगर इनकी देशभक्ति में गहराई से जाएं तो, इनकी देश के प्रति भक्ति बड़े अच्छे से उजागर होकर आती है। इनके पैतृक संगठन ने आजादी से पहले क्या क्या गुल खिलाए और इनके पूर्वज कहां कहां किसके पैर चाट कर कितनी माफिया मांग मांग कर अपनी जान बचाई हैं, सब साफ साफ इतिहास में दर्ज है। इन गद्दारों ने देश के तिरंगे से लेकर देश की सेना तक से गद्दारी की। आजादी के बाद इन्होंने सेना अध्यक्ष को मरवाने की कोशिश की । और ये गद्दार जिन कर्मों को आज तक अंजाम देते आए हैं, आज उसी का आरोप दूसरे पर लगाते हुए, लोगों को धर्म का राष्ट्रवाद का देशभक्ति का और इंसानियत का सर्टिफिकेट बांटते हैं ।
इन बेशर्मो को थोड़ी भी शर्म नहीं आती है। और देश की जनता को भी थोड़ी अकल नहीं आती है, कि इनको सर पर चढ़ाने से पहले एक बार इन गद्दारों का इतिहास तो पढ़ लो। अरे इन गद्दारों की खुद की लिखी हुई किताबें पढ़ लो। जिसमें उन्होंने यह लिखा है कि किस तरह से आजादी के लिए चलाए गए आंदोलनों से लोगों को विमुख करने का भरसक प्रयास किया।
ये ढोंगी और पाखंडी ना तो धर्म के ना तो राष्ट्र के ना समाज के और ना ही इंसान के सगे हैं । ये नीच पाखंडी धर्म, राष्ट्र, समाज और इंसानियत को डुबाने आए हैं। उसको खत्म करने आए हैं ।
अभी भी वक्त है समझ सकते हैं तो समझ लीजिए। ऐसा ना हो कि वह भी वक्त आए जब आपके हाथों में सामान के नाम पर केवल भीख वाला कटोरा रह जाए ।और ये पाखंडी आपको इस काबिल भी ना छोड़े कि, आप अपनी बहन बेटियों की रक्षा इन पाखंडीयो से कर पाए।
जयहिंद जय भारत
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