लाल गुलाल

हुंकार से अब इस पत्थर को भी पिघलना होगा
अनिवार्य बनी मुश्किलों को राह बदलना होगा


त्याग कर सुख चैन की निद्रा सारी तुझको अब
अविरल लाल क्रांति संग संघर्षो में ढलना होगा 


छोड़ कर अब मोह अपने जीवन का तुझको भी
विजय का आलिंगन कर या मृत्यु से मिलना होगा


तानाशाहो की किले पर एक घातक चोट कर
उसके महल की एक एक ईंट को हिलना होगा


जला वो क्रांति की आग हर दिल मे इन्तकामी
हर घर घर हर शहर में इंकलाब को पलना होगा


मोड़ दे हर राह उसकी, खुलकर अब तू जवाब दे
महलो को तोड़ दे इन तख्तो ताज को जलना होगा


नकारना है सभी फरमानी ताकतों को तुझको
नए भविष्य के नए निर्माण पथ पर चलना होगा


युद्ध पराजय मृत्यु सलाखे सबका भय छोड़ तुझे
अग्नि कुंड में तपना होगा हिमखण्ड में गलना होगा


खुद तुझको चमन बसाना है खुद ये वतन बनाना है
खुद का दर्द मिटा कर खुद के जख्मो सिलना होगा

 
कुरबान हो कर खुद  निज मातृ भूमि पर तुझको
फूल बन गुलिस्तां का इस मिट्टी में खिलना होगा


खुशी चैन उत्सव सुख के सारे रंगों को त्याग तुझे
ये विद्रोही रंग गुलाल अब चेहरे पर मलना होगा










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